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चित्रकूट के जुड़वा मासूम श्रेयांश, प्रियांश अपहरण व हत्याकांड में सभी आरोपितों को आजीवन कारावास

चित्रकूट के श्रेयांश, प्रियांश अपहरण व हत्याकांड में सभी आरोपितों को आजीवन कारावास

सतना। जिले के बहुचर्चित एवं सनसनीखेज अपराध जुड़वा मासूम हत्याकांड के मामले में (एंटी डकैती कोर्ट) सतना मप्र की अदालत ने सभी पांच आरोपितों को दोषी पाते हुए दोयम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जिनमें तीन आरोपित पदमकांत, राजू और लकी को धारा 302, 364 ए, और 328, 201, 120 बी भादवि, 25/27 आयुध अधिनियम एवं 11/13 एडी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए तीन लाख 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया।

वहीं आरोपित विक्रमजीत सिंह और अपूर्व उर्फ पिंटा यादव को धारा 120बी, 364 ए, 328, 25/27 आयुध अधिनियम एवं 11/13 एडी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई है। यह फैसला शाम 5 बजे आया। दरअसल आरोपित लकी तोमर की ओर से लिखित तर्क के लिए 6 जुलाई 2021 को अदालत के समक्ष आवेदन के प्रस्तुत किया गया था। अदालत ने 26 जुलाई 2021 की तारीख फैसले के लिए नियत की थी। कोर्ट में दिन भर चली सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दोषी साबित पाए जाने के पश्चात सजा पर बहस के दौरान आरोपितों को कम से कम दण्ड दिए जाने की अपील की। वहीं अभियोजन ने अपने मामले को विरल से विरलतम साबित करने के लिए बहस करते हुए उच्चतम न्यायालय के कई न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किए और आरोपितों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी।

हाईकोर्ट जाएंगे दोनों पक्ष : इसी दौरान प्रकरण के फरियादी मृतक बच्चों के पिता बृजेश रावत ने भी रोते हुए यह अपील की थी कि आरोपितों को फांसी की सजा दी जाए। लेकिन आजीवन कारावास होने पर उन्होंने दुख प्रकट करते हुए आगे भी फांसी की सजा दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में जाने कहा है। इस मामले में मप्र राज्य शासन की ओर नियमित कैडर के वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह ने शासन का पक्ष रखा। वहीं आरोपित पक्ष के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने भी दोयम आजीवन कारावास की सजा को फांसी से भी बड़ी करार देते हुए जिला न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय जाकर सजा कम कारने की मांग किए जाने की बात कही गई है।

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