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साल में हो सकते हैं पांच सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण, जानिए कैसे होता है ग्रहण

साल में हो सकते हैं पांच सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण, जानिए कैसे होता है ग्रहणहिंदू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण का बहुत महत्व है। भारत में ग्रहण को लेकर कई अंधविश्वास भी हैं, जबकि विज्ञान खगोलीय पिंडों की गति के आधार पर घटना का विश्लेषण करता है और अंधविश्वास को नहीं मानता है।
विज्ञान के अनुसार, ग्रहण पूरी तरह खगोलीय घटना है, जबकि भारत में माना जाता है कि जब छाया ग्रह राहु और केतु सूर्य या चंद्रमा को ढंक लेते हैं, तो क्रमशः सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण होता है। दुनियाभर में जहां आज वैज्ञानिक ग्रहण की घटनाओं के बारे में जानकारी जुटाने को लेकर उत्साहित दिखते हैं।
वहीं, ऋग्वेद के अनुसार, अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान हजारों साल पहले उपलब्ध था। वेदांग ज्योतिष का महत्त्व हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान की जानकारी देता है। सम्पूर्ण सूर्यग्रहण की वास्तविक अवधि अधिक से अधिक 11 मिनट ही हो सकती है उससे अधिक नहीं। मगर, चंद्र ग्रहण की अवधि कई घंटों तक की हो सकती है।
खगोल शास्त्रियों ने गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चंद्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में पांच सूर्यग्रहण तथा दो चंद्रग्रहण तक हो सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए। यदि किसी वर्ष में दो ही ग्रहण हुए, तो वो दोनों ही सूर्यग्रहण होंगे। सालभर में 7 ग्रहण तक हो सकते हैं, फिर भी चार से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।
कब और कैसे होता है सूर्य ग्रहण
विज्ञान के अनुसार, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, तो सूर्य की चमकती सतह चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती है। इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है, तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं। वहीं, जब सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं। यह घटना हमेशा अमावस्या को ही होती है।
साल में हो सकते हैं पांच सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण, जानिए कैसे होता है ग्रहण
चंद्रग्रहण पूर्णिमा को ही होता है
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है। इसे चंद्रग्रहण कहते हैं। यह स्थिति तब बनती है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है और यह भी पूर्ण या आंशिक हो सकता है।

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