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MP में निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी शिवराज सरकार, बदलेंगे कई नियम

मध्‍य प्रदेश में निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी शिवराज सरकार, बदलेंगे नियम

भोपाल। पार्षदों के माध्यम से महापौर और अध्यक्ष का चुनाव कराने की मौजूदा व्यवस्था को बरकरार रखते हुए सरकार निकाय चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। महापौर और अध्यक्ष के लिए अलग से प्रत्याशी नहीं होने के कारण व्यय लेखा के प्रविधान में संशोधन किया जा रहा है। वहीं, चुनाव से दो माह पहले तक निकाय की सीमा में परिवर्तन भी किया जा सकेगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने नियमों में संशोधन का प्रारूप तैयार करके नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेज दिया है। चुनाव अक्टूबर में कराए जा सकते हैं।

नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि विधानसभा में नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक पारित नहीं होने की वजह से अप्रत्यक्ष प्रणाली वाले प्रविधान प्रभावी हैं। इसके मद्देनजर आयोग ने चुनाव संबंधी बैठक में सबको अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत चुनाव कराने की तैयारी को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए हैं।

राज्य निर्वाचन आयुक्त बंसत प्रताप सिंह ने भी अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा प्रविधान के तहत महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाता नहीं बल्कि पार्षद करेंगे। इसके चलते अब दो बैलेट यूनिट का उपयोग नहीं होगा। पार्षद व्यय लेखा प्रस्तुत करेंगे पर महापौर और अध्यक्ष के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं रहेगी। इसके अलावा कुछ अन्य संशोधन भी किए जाएंगे।

वर्ष 2018 के पहले प्रदेश में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे जनता द्वारा होता था। कमल नाथ सरकार ने इसमें संशोधन करके अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की व्यवस्था लागू कर दी। हालांकि, इस प्रविधान से प्रदेश में किसी भी निकाय का चुनाव नहीं हुआ है। शिवराज सरकार ने कांग्रेस द्वारा लागू की गई व्यवस्था की जगह अध्यादेश के माध्यम से पुरानी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की व्यवस्था लागू कर दी थी।

 

विधानसभा के बजट सत्र में इसको लेकर संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत किया पर समयपूर्व विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित हो गई। इसकी वजह से अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया और कांग्रेस सरकार के समय की व्यवस्था लागू हो गई। इस बीच नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने चुनाव संबंधी नियमों में संशोधन कर दिए थे।

अब चूंकि अप्रत्यक्ष प्रणाली वाली व्यवस्था लागू हो गई है इसलिए नियमों में फिर संशोधन करना होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव दुर्गविजय सिंह ने बताया कि हमने अपने स्तर से प्रारूप तैयार करके शासन को भेज दिए हैं। उनका परीक्षण करके नगरीय विकास एवं आवास विभाग को अधिसूचित कराना है।

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