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MP Mandi Tax: मंडी शुल्क पर सरकार भूली वादा, परेशान दाल उद्योग याद दिलाने में लगा

MP Mandi Tax: मंडी शुल्क पर सरकार भूली वादा, परेशान दाल उद्योग याद दिलाने में लगा

MP Mandi Tax: मंडी शुल्क पर सरकार भूली वादा, परेशान दाल उद्योग याद दिलाने में लगा देश सरकार वादा और घोषणा कर भूल रही है और दाल उद्योग याद दिलवाने की कोशिश में जुटा है। विदेश और अन्य राज्यों से आयातित दलहन पर अन्य राज्यों की तरह मंडी शुल्क में छूट की मांग प्रदेश के दाल उद्योग ने की है। आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को एक बार फिर पत्र लिखकर मांग करते हुए याद दिलाया है कि छूट की घोषणा आप खुद महीनों पहले कर चुके हैं।

दाल उद्योगों की प्रतिनिधि संस्था ने आरोप लगाया कि एक ओर राज्य सरकार मध्यप्रदेश मे ग्लोबल समिट जैसे आयोजन कर देश विदेश के कारोबारियों को मध्यप्रदेश मे उद्योग-धंधे स्थापित करने हेतु आमंत्रित कर उन्हें हर प्रकार की सुविधा देने की बात कर रही है। दूसरी ओर प्रदेश के परंपरागत कृषि आधारित दाल उद्योगो की अनदेखी कर उन्हे प्रदेश से बंद करने एवं पलायन करने को मजबूर कर रही है। दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश मे प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व वर्षों से ही राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन – तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, चना, मटर आदि पर मंडी शुल्क से छूट दी जाती रही है।

 

सरकार द्वारा अंतिम बार दिनांक 01 अगस्त 2018 से 31 जुलाई 2019 तक छूट प्रदान की थी, 01 अगस्त 2019 से राज्य के बाहर से मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लागू कर दिया। इससे साढ़े तीन वर्ष मे मध्यप्रदेश मे दाल उद्योगो की हालत दयनीय हो गई है।सरकार केवल आश्वासन पर आश्वासन दे रही है। किन्तु अभी तक लागू नहीं किया जा रहा। जबकि अन्य प्रदेशों में इस शुल्क पर छूट है या मप्र से काफी कम दर है। एसोसिएशन के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री ने 10 माह पूर्व दिनांक 25 अप्रैल 2022 को ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की मीटिंग मे यह घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश के कृषि आधारित दाल उद्योगों के हित में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट स्थाई रूप से प्रदान की जाएगी।

किन्तु आज तक इस पर कोई आदेशा जारी नहीं किया गया है। इसी प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से भी 15 दिसंबर 2022 को संस्था के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर मंडी शुल्क से छूट दिए जाने का अनुरोध किया था। तब भी मुख्यमंत्री ने मंडी शुल्क से छूट देने का आश्वासन दिया था। इसके बाद 17 दिसंबर 2022 को कटनी में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में भी मंडी शुल्क से छूट देने की घोषणा की थी। इस घोषणा पर भी आज तक अमल नहीं हुआ है।

उत्पादन आधा हुआ

एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मंडी शुल्क के दुष्परिणाम का हवाला देते हुए आंकड़े भी भेज दिए हैं। एसोसिएशन के अनुसार साढ़े तीन साल में प्रदेश में दाल इंडस्ट्रीज़ का उत्पादन 50 प्रतिशत तक घट गया है। कुछ दाल इंडस्ट्रीज़ बंद होने की कगार पर है, तो कुछ अन्य प्रदेशों मे पलायन के लिए मजबूर है। मप् में मंडी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों गुजरात के बड़ौदा, दाहोद, गोधरा व हिम्मत नगर में मिलें लगा रहे हैं।

इसी तरह महाराष्ट्र जलगांव, भुसावल, धुलिया एवं नागपुर की दालें कम लागत के कारण मप्र में आकर बिक रही हैं। क्योंकि वहां मंडी शुल्क कम है इसलिए दाल सस्ती पड़ रही है। मप्र की दाल इंडस्ट्रीज की दालों पर मंडी शुल्क के भार के कारण लागत महंगी होने से यहां की दाले कम बिक रही है। दरअसल मप्र में गेहूं, सोयाबीन तथा चना की पैदावार बहुत अधिक होती है, इसलिए तुअर, उड़द और मुंग मप्र राज्य के बाहर से मंगवाना ही पड़ता है।

कहां कितना मंडी शुल्क

गुजरात में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर

0.50%

5000/-

महाराष्ट्र में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर (सेस)

0.80%

8000/-

म.प्र. में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर

1.70%

17000/-

खास बात यह है कि ये शुल्क भी अन्य प्रदेश स्थानीय उपज पर लेते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बाहर से (अन्य राज्यों से) कृषि उपज दलहन – तुअर, उड़द, मूंग, मटर, मसूर व चना आदि खरीदकर दाल बनाने पर मंडी शुल्क नहीं लगता है।

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