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Navratri Special: विदेशों में भी हैं माता के प्रसिद्ध मंदिर, देखें मोहक दृश्‍य

Navratri Special 26 September

Shardiya Navratri 2022: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि है। नवरात्रि माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का खास नौ दिवसीय पर्व है। इस पर्व में लोग देवी की पूजा करते हैं। उपवास रखते हैं और मंदिरों में माथा टेकने के लिए जाते हैं। भले ही नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा होती है लेकिन देवी मां के कई स्वरूप है।

पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव की पहली पत्नी सती के शरीर के अंग और आभूषण धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे थे। यह जगहें शक्तिपीठ बन गईं, जहां माता को कई अलग नामों से पुकारा जाता है।

दुनियाभर में 52 शक्तिपीठ हैं, लेकिन सभी शक्तिपीठ भारत में ही स्थित नहीं है। देवी के शक्तिपीठ विदेशों में भी हैं। ऐसे में अगर आप भारत से बाहर देवी के शक्तिपीठों के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि किन देशों में माता के शक्तिपीठ स्थिति हैं और इनके क्या नाम है। यहां विदेशों में बने माता के शक्तिपीठों की पूरी सूची दी जा रही है।

पाकिस्तान में हिंगुला शक्तिपीठ

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान में देवी मां का शक्तिपीठ है। पाकिस्तान में स्थिति माता के प्राचीन मंदिर का नाम हिंगुला शक्तिपीठ है। यहां हिंगलाज देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस जगह पर माता सती का सिर गिरा था। इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ को नानी का मंदिर या नानी का हज भी कहते हैं। इस शक्तिपीठ को चमत्कारी माना जाता है। कहा जाता है कि कई बार आतंकियों ने यहां हमले किए लेकिन शक्तिपीठ को कोई नुकसान न हुआ।

तिब्बत का मनसा शक्तिपीठ

भारत के करीब तिब्बत में भी हिंदुओं का धार्मिक शक्तिपीठ है। यहां मानसरोवर नदी के तट पर मनसा देवी शक्तिपीठ है। माना जाता है कि यहां माता सती की दाईं हथेली गिरी थी।

श्रीलंका का इन्द्राक्षी शक्तिपीठ

भारत के दक्षिण में स्थित श्रीलंका में भी देवी का प्रसिद्ध इंद्राक्षी शक्तिपीठ है। जाफना नल्लूर में माता को इंद्राक्षी नाम से पुकारा जाता है। इस जगह पर माता सती की पायल गिरी थी। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, देवराज इंद्र और भगवान राम ने इस शक्तिपीठ की पूजा की थी।

नेपाल में तीन शक्तिपीठ

आद्या शक्तिपीठ- नेपाल में कई शक्तिपीठ हैं। नेपाल में गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ स्थित है। माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां माता देवी की गंडकी स्वरूप की पूजा होती है।

गुहेश्वरी शक्तिपीठ- नेपाल में गुहेश्वरी शक्तिपीठ है, जो पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे स्थित है। मान्यता है कि यहां मां सती के दोनों जानु यानी घुटने गिरे थे। यहां शक्ति के महामाया रूप और भगवान शिव के भैरव कपाल रूप की पूजा होती है।

दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल के बिजयापुर गांव में दंतकाली शक्तिपीठ है। कहते हैं यहां माता सती के दांत गिरे थे।

बांग्लादेश में सती के शक्तिपीठ

उग्रतारा शक्तिपीठ- बांग्लादेश में कुल पांच शक्तिपीठ हैं। सुनंदा नदी के तट पर उग्रतारा शक्तिपीठ स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की नाक गिरी थी। कहते हैं कि यहां माता सती देवी सुगंधा के रूप में शिव त्र्यम्बक के साथ वास करती हैं।

अपर्णा शक्तिपीठ- बांग्लादेश में भवानीपुर गांव में माता सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी। इस शक्तिपीठ को अपर्णा शक्तिपीठ कहते हैं।

श्रीशैल महालक्ष्मी – सिलहट जिले में शैल नाम के स्थान देवी का श्रीशैल शक्तिपीठ है। माता सती का गला इसी स्थान पर गिरा था। यहां माता के महालक्ष्मी स्वरूप की उपासना की जाती है।

बांग्लादेश शक्तिपीठ

चट्टल भवानी- चिट्टागोंग जिले में सीता कुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल में माता सती की दायीं भुजा गिरी थी। इसे चट्टल भवानी शक्तिपीठ कहते हैं, जहां मां के भवानी स्वरूप की पूजा होती है।

यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ- बांग्लादेश के खुलना जिले में य़शोरेश्वरी माता का शक्तिपीठ है। इस स्थान पर माता की बाईं हथेली गिरी थी।

जयंती शक्तिपीठ- सिलहट जिले में ही जयंतिया परगना में खासी पर्वत पर जयंती माता का शक्तिपीठ है, जहां माता सती की बाईं जांघ गिरी थी।

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