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भीख मांगना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सिर्फ बिहार ने दिया जवाब

नई दिल्ली। भिक्षावृत्ति को अपराध नहीं मानने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस पर शीर्ष कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र तथा गुजरात समेत चार राज्यों से याचिका पर तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले में बिहार पहले ही जवाब दाखिल कर चुका है। याचिका में भिक्षावृत्ति को अपराध की श्रेणी में रखने वाले प्रावधानों को निरस्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि इस वर्ष 10 फरवरी को याचिका पर एक नोटिस जारी किया गया था, लेकिन अब तक इस मामले में केवल बिहार ने अपना जवाब दाखिल किया। अन्य प्रतिवादियों ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट अब तीन सप्ताह बाद इस मामले में सुनवाई करेगी।

कोर्ट ने फरवरी में केंद्र के साथ-साथ महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और बिहार से जवाब मांगा था। याचिका में दावा किया गया है कि भिक्षावृत्ति को अपराध बनाने संबंधी धाराएं संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहा था
मेरठ के विशाल पाठक ने अधिवक्ता एचके चतुर्वेदी के जरिए यह याचिका दायर की है। इसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के अगस्त 2018 के उस फैसले का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया था राष्ट्रीय राजधानी में भीख मांगना अब अपराध नहीं होगा। याचिका में कहा गया है कि सरकार को सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और सभी को संविधान में राज्य नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुसार बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने का अधिकार है।

देश में बढ़ी भिखारियों की संख्या
याचिका में 2011 की जनगणना का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भारत में भिखारियों की कुल संख्या 4,13,670 है और पिछली जनगणना से यह संख्या बढ़ी

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