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IRCTC Train Ticket दलाल महज चंद सेकंडों में ही टिकटें कंफर्म करा लेते थे, तरीके को जानकर RPF भी दंग

IRCTC Train Ticket दलाल महज चंद सेकंडों में ही टिकटें कंफर्म करा लेते थे, तरीके को जानकर RPF भी दंग

IRCTC Train Ticket की वेबसाइट और मोबाइल एप पर लोगों को औसतन दो से तीन मिनट का वक्त लगता है। लेकिन कई बार इंटरनेट की स्पीड या अन्य तकनीकी कारणों से इससे भी ज्यादा वक्त लग जाता है। नतीजतन जब तक टिकट की बुकिंग प्रक्रिया पूरी होती, तब तक संबंधित ट्रेन के सभी टिकट बुक हो जाते हैं। ऐसे में लोगों के हाथ में वेटिंग टिकट ही लगता है। जबकि कई दलाल महज चंद सेकंडों में ही टिकटें कंफर्म करा लेते हैं। हाल ही में आरपीएफ ने कुछ दलालों और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के इस खेल का पर्दाफाश किया हैं।

इस तरह देते हैं धोखा

आमतौर पर जब किसी को रेलवे टिकट बुक करना होता है, तो वह आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक करने करता है। इस दौरान व्यक्ति को यूजर आईडी और पासवर्ड डालने के बाद लॉगिन कैप्चा डालना होता है। इसके बाद यात्रियों की डिटेल भरनी होती है। इसमें एक यूजर अपनी आईडी से एक से लेकर छह यात्रियों की टिकट बुक कर सकता है। वेबसाइट और एप पर जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सबमिट करने के लिए भी एक कैप्चा भरना होता है। पेमेंट करने के लिए संबंधित रजिस्टर्ड मोबाइल में एक ओटीपी आता है, जिसे डालने के बाद पेमेंट करना होता है और तब जाकर टिकट मिल पाता है। इसमें औसतन दो मिनट का समय लग जाता है।
जबकि दूसरी तरफ दलाल रेलवे टिकट बुकिंग के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से दोनों कैप्चा भरने की जरूरत नहीं पड़ती है। सॉफ्टवेयर इसे बायपास करा देता है। वहीं, पेमेंट के लिए भी ओटीपी की जरूरत नहीं होती है। सीधा पेमेंट हो जाता है। इस तरह कुछ सेकेंड में दलाल कंफर्म टिकट बुक करा लेते हैं।

एक ID से 144 लोगों की टिकट बुकिंग

एक आईडी से छह यात्रियों के टिकट बुक हो सकते हैं। यानी बुकिंग की कतार में वर्चुअल छह लोग लग सकते हैं। जबकि दलाल एक आईडी से 144 लोगों की टिकट बुक करा सकता है। इस वजह से आम लोगों को टिकट नहीं मिल पाता है। पहला तो कुछ सेकंडों में टिकट बुक होता है, और दूसरा 144 लोगों का टिकट एक साथ बुक कराता है। इतना ही नहीं सॉफ्टवेयर की मदद से 144 यात्रियों की डिटेल पहले से तैयार रहती थी, जिसे निर्धारित समय होते ही एड कर दिया जाता है। इस तरह डिटेल भरने में लगने वाला समय भी बच जाता है।
आरपीएफ से मिली जानकारी के अनुसार पकड़े गए दलालों और सॉफ्टवेयर डेवलपर ने बताया कि इस तरह के सॉफ्टवेयर उन्होंने रूस में डेवलप कराए थे। इनका किराया भी अलग-अलग होता है। मसलन एक आईडी में दो वर्चुअल यात्रियों वाले सॉफ्टवेयर का किराया 600 रुपये प्रतिमाह और 24 वर्चुअल वाले यात्रियों वाले सॉफ्टवेयर का किराया 10000 रुपये प्रतिमाह होता है। वर्चुअल यात्रियों की संख्या छह गुना बढ़ाई जा सकती है, क्योंकि एक आईडी में छह लोगों का टिकट बुक हो सकता है।
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