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स्कूल कब, कहां और कैसे खोले जाएं ? डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया

स्कूल कब, कहां और कैसे खोले जाएं ? डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया

देश में कोरोना संक्रमण के अब भी औसतन प्रतिदिन 40 हजार से अधिक मामले सामने आने के बीच कई राज्यों में बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं। सरकारों के इस निर्णय ने एक नई बहस छेड़ दी है। एक वर्ग जहां इस फैसले के समर्थन में हैं तो दूसरा इसके खिलाफ है। आइए जानते हैं विशेषज्ञ स्कूल खोलने के इस कदम को कैसे देखते हैं?

‘वैक्सीन लेने के बाद डेल्टा वायरस से 60 फीसदी तक घटता है संक्रमण का खतरा’

वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद कोरोना के नए रूप डेल्टा वायरस से भी संक्रमण का खतरा 50 से 60 फीसदी तक घट जाता है. यह दावा इम्पीरियल कॉलेज लंदन के रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में किया है. रिसर्चर्स के मुताबिक, वैक्सीन न लेने वालों में संक्रमण का खतरा टीका लगवाने वालों के मुकाबले तीन गुना अधिक रहता है. रिसर्च के लिए 98,233 लोगों के घर जाकर सैम्पल लिए गए. 24 जून से 12 जुलाई के बीच सैम्पल की पीसीआर टेस्टिंग की गई. इनमें से 527 लोग पॉजिटिव आए. इन 527 पॉजिटिव सैम्पल में से 254 सैम्पल में मौजूद वायरस की उत्पत्ति को समझने के लिए दोबारा लैब में जांच की गई. रिपोर्ट में सामने आया कि इन सैम्पल्स में 100 फीसदी तक डेल्टा वायरस था. (फोटो सौ. न्यूज18 इंग्लिश)

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से इस संबंध में उनसे पूछे गए पांच सवालों के जवाब देते हुए बताया कि कब, कहां और किस तरह स्कूल खोले जा सकते हैं।

1. सवाल : देश में कोरोना संक्रमण के मामले अब भी सामने आ रहे हैं और कई प्रदेशों में बच्चों के स्कूल फिर से खोले जा रहे हैं, आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब : मेरा मानना है कि जिन जिलों में कोरोना के संक्रमण कम हो गए हैं तथा जहां कम संक्रमण दर है, वहां कड़ी निगरानी एवं कोविड प्रोटोकॉल के साथ स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। स्कूलों को 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ या अलग-अलग शिफ्ट में शुरू किया जा सकता है। स्कूलों में छात्रों को हैंड सैनिटाइजर समेत कोरोना से बचाव के लिए अन्य चीजें देनी चाहिए।

स्कूल उन्हीं इलाकों में खोले जाने चाहिए, जहां संक्रमण दर कम है। इसकी लगातार निगरानी की जानी चाहिए और संक्रमण दर में बढ़ोतरी पाए जाने पर स्कूलों को बंद कर दिया जाना चाहिए। स्कूल खोलने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें स्थायी रूप से खोल रहे हैं, इसमें जोखिम और फायदे की स्थिति का विश्लेषण किया जाए।

2. सवाल : जब कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, ऐसे में स्कूल खोलना क्या उचित होगा?

जवाब : तीसरी लहर की चपेट में बच्चों के आने की बात इसलिए कही जा रही थी क्योंकि अब तक बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाया है। अगर हम भारत, यूरोप और ब्रिटेन में दूसरी लहर के आंकड़ों पर गौर करें तो हम पाएंगे कि बहुत कम बच्चे इस वायरस से प्रभावित हुए थे और उनमें गंभीर रूप से बीमार होने के मामले बहुत कम थे।

भारत में भी कोरोना वायरस से कम बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। इसके अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) सिरो सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि करीब 55 फीसदी बच्चों में पहले से ही वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल एवं निगरानी के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं।

3. सवाल : काफी संख्या में अभिभावकों ने बिना टीका लगाए बच्चों को स्कूल भेजने पर आपत्ति जताई है, आपकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है?

जवाब : सभी बच्चों का टीकाकरण कराने में काफी समय लगेगा और ऐसे में तो अगले साल के बाद तक ही स्कूल खोले जा सकेंगे। इसके बाद वायरस के नए प्रारूप का खतरा भी रहेगा। ऐसी चिंताओं के बीच तो हम स्कूल खोल ही नहीं पाएंगे। कई शहरों में स्कूल खोले जा सकते हैं, लेकिन कई शहरों में नहीं खोले जा सकते हैं। मसलन दिल्ली में 100 के आसपास मामले आ रहे हैं तो एहतियात एवं कोविड नियमों के पालन के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं। केरल में मामले अभी अधिक हैं तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

4. सवाल : स्कूलों में किस प्रकार की सावधानी की जरूरत है। आपकी स्कूलों को क्या सलाह है?

जवाब : बच्चों के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा का काफी महत्व है। स्कूलों में क्लास रूम की पढ़ाई से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। स्कूलों में बच्चों का टीचर्स और दोस्तों से संवाद होता है। इससे उनका सामाजिक एवं नैतिक विकास होता है। स्कूलों में पूरी सावधानी बरती जाए। स्कूलों को कोरोना दिशानिर्देशों के पालन में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। स्कूल प्रशासन को ध्यान रखना चाहिए कि प्रार्थना, लंच आदि के लिए एक स्थान पर बच्चों की ज्यादा भीड़ नहीं हो। शिक्षकों एवं स्कूल के सभी कर्मचारियों को टीका लगवा लेना चाहिए।

5. सवाल : काफी संख्या में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?

जवाब : अभिभावकों को यह विश्वास दिलाना होगा कि हम पूरी तैयारी कर रहे हैं। शुरुआत में कुछ समय स्कूलों में बच्चे कम संख्या में आएंगे, लेकिन धीरे-धीरे अभिभावकों में विश्वास आएगा।

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