भोपाल। भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र में एक महिला को कमरे में बंधक बनाकर दो आरोपियों ने उससे जेवर लूट लिए। मामले की जांच एक नए थानेदार के जिम्मे थी। उसने इस वारदात में लूट की एफआईआर तो दर्ज की, लेकिन घर में घुसकर महिला को बंधक बनाने की एफआईआर दर्ज करना उसकी समझ में नहीं आया। इसी तरह गोविंदपुरा क्षेत्र में एक युवक मारपीट के बाद थाने पहुंचा तो प्रशिक्षु थानेदार ने मामले को पुलिस हस्तक्षेप के योग्य नहीं माना और युवक को चलता कर दिया। जबकि मेडिकल में उसको सिर में गंभीर चोट बताकर हत्या की कोशिश का मामला बन रहा था। यह मामले तो बानगी भर हैं। मध्यप्रदेश के 55 फीसदी नए थानेदारों को कानून की जानकारी ही नहीं है और वह थानों में बैठकर रोजाना आम लोगों की शिकायत पर मनमानी धाराओं में एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। इन प्रशिक्षु सबइंस्पेक्टर को कानूनी की कितनी जानकारी है, वह ट्रेनिंग के दौरान उनकी परीक्षा के नतीजे बयान कर रहे हैं। जिसमें 55 फीसदी थानेदार फेल हो गए हैं। प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर को ट्रेनिंग देने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कानूनी जानकारों को ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के वकील और रिटायर पुलिस अफसरों के विशेष सेमीनार भी आयोजित किए जाते हैं। इसके बाद भी यहां हर से निकलने वाले ट्रेनी सब इंस्पेक्टर के साथ यह स्थिति बन रही है।
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