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कटनी का जिक्र करते बोले PM मोदी: कथा सुनाने की परंपरा हमारे यहां से निकलने के बाद ही दुनिया भर में फैली

कटनी का जिक्र करते बोले PM मोदी: कथा सुनाने की परंपरा हमारे यहां से निकलने के बाद ही दुनिया भर में फैली

PM नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कटनी के कार्यक्रम का उल्लेख किया है। रानी दुर्गावती के बलिदान आधारित कार्यक्रम की प्रधानमंत्री ने सराहना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘ मध्य प्रदेश के कटनी से भी कुछ साथियों ने एक यादगार दास्तानगोई कार्यक्रम की जानकारी दी है। इसमें रानी दुर्गावती के अदम्य साहस और बलिदान की यादें ताजा की गई हैं।”

कटनी का जिक्र करते बोले PM मोदी: कथा सुनाने की परंपरा हमारे यहां से निकलने के बाद ही दुनिया भर में फैली

इस कार्यक्रम की गई सराहना: जागृति पार्क में जिला प्रशासन ने 21 नवंबर को कार्यक्रम आयोजित किया था। पूरे प्रदेश में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव सप्ताह पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा था। इसी के अंतर्गत जिला प्रशासन द्वारा जनजातीय गौरव सप्ताह पर जागृति पार्क में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें लखनऊ के प्रसिद्ध किस्सागोई हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरता की कहानी अपने अंदाज में सुनाई थी

हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने 16वीं सदी की वीरांगना रानी दुर्गावती के जन्म से लेकर उनकी शहादत की दास्तान को अनोखे अंदाज में प्रस्तुत कर लोगों में जोश का संचार किया था और किस्सागोई के माध्यम से हिंदुस्तान की बेटियों की वीरता को सभी के सामने रखा। बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी रानी दुर्गावती के बचपन के किस्सों के साथ उनके रानी बनने तक के सफर और अपने राज्य को बचाने के लिए अपने सैनिकों के साथ जिस तरह से उन्होंने वीरता का परिचय देकर शहादत दी, उसकी कहानी को लखनवी अंदाज में सुनकर लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कलाकारों का उत्साह बढ़ाया था।

किस्सागोई का सरताज है हिन्दुस्तान: रानी दुर्गावती की वीरता पर किस्सागोई की प्रस्तुति देने आए कलाकार हिमांशु बाजपेयी ने कहा कि किस्सागोई विद्या का सरताज हिन्दुस्तान है। कथा सुनाने की परंपरा हमारे यहां से निकलने के बाद ही दुनिया भर में फैली। उन्होंने कहा कि जिस तरह से किस्सा कहना एक कला, उसी तरह से किस्सा सुनना भी एक कला है। हिमांशु ने रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित किस्सागोई को लेकर कहा कि वीरांगना जिस तरह से खुद को रखा और आजादी की, अधिकारों की बात की, वह प्रेरणादायी है। उन्होंने विस्तारवादी नीति का प्रतिकार किया और उनकी कहानी आमजन के मन में एक विश्वास पैदा करने वाली है, जो हमेशा सुनाई जाती रहेगी

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