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Panchayt Chunav पंचायत चुनाव में आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए, जानिए क्या है ट्रिपल टेस्ट

पंचायत चुनाव में आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए, जानिए क्या है ट्रिपल टेस्ट

Panchayt Chunav । मध्य प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय की गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। बुधवार को हुई सुनवाई के बाद तीन जजों की पीठ ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए और इस फैसले का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई करे। संविधान के दायरे में रहते हुए आरक्षण देकर चुनाव कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस व्यवस्था के बाद सरकार की पुनर्विचार याचिका निराकृत हो गई। इससे सरकार ने राहत की सांस ली है क्योंकि चुनाव पर से रोक हट गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बताया कि हमने याचिका में जिस अध्यादेश के चुनौती दी थी वो सरकार ने वापस ले लिया है और चुनाव भी रद हो गए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को भी निराकृत कर दिया। तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के बाद कहा कि यही तो हम कह रहे थे कि मध्य प्रदेश सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में जो संशोधन किए हैं, वे असंवैधानिक और आरक्षित वर्ग के हितों के खिलाफ है।

सरकार ओबीसी वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराएगी। इसके तहत तीन चीजें करना होती हैं। पहली शर्त के रूप में राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया जा चुका है। दूसरा, ओबीसी वर्ग के लोगों की गणना का काम चल रहा है। कलेक्टरों से ओबीसी मतदाताओं की जानकारी पंचायतवार एकत्र कराई जा रही है। तीसरा, इसके आधार पर आयोग पिछड़ा वर्ग की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करके सरकार को प्रतिवेदन देगा। इस पर आरक्षण तय होगा।

उल्लेखनीय है कि शिवराज सरकार वर्ष 2019 में कमल नाथ सरकार के समय हुए पंचायतों के परिसीमन को निरस्त करने के लिए मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश लाई थी। इसकी वजह से वर्ष 2014 के चुनाव में लागू आरक्षण व्यवस्था प्रभावी हो गई थी।

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