Facebook ने 8 वर्ष से बिछड़ी बेटी को परिवार से मिलाया, जानिए पूरा मामला

फेसबुक की मदद से एक बिछड़ी बेटी अपने परिवार से मिल गई यह पूरा वक्त बिहार के भोजपुर का है। जानिए यह पूरा मामला

Facebook. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक Facebook लोगों के कितना काम आ सकता है इसकी बानगी देखने मिली फेसबुक की मदद से एक बिछड़ी बेटी अपने परिवार से मिल गई यह पूरा वक्त बिहार के भोजपुर का है। जानिए यह पूरा मामला

अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि परिवार का कोई  सदस्य किसी शहर में बिछड़ जाता है और वो वर्षों बाद मिलता है. एक ऐसी ही असल घटना बिहार के भोजपुर से सामने आ रही है. यहां एक परिवार से 8 साल पहले बिछड़ गई महिला फेसबुक (Facebook) के माध्यम से फिर से मिल गई हैं.

दरअसल, इस महिला को खोज खोज कर पूरा परिवार परेशान हो गया था. इसके बाद हिम्मत हार कर परिजनों ने सब भगवान के भरोसे छोड़ दिया था. लेकिन उनकी उम्मीद की जीत हुई और सालों बाद ही सही वो मिल गई. रकार बनारस के अपना घर आश्रम में परिजनों ने जब इस महिला को देखा सभी खुशी से भावुक हो गए.

भोजपुर की रहने वाली इस महिला का नाम वंदना है जो 2013 में अचानक से अपने घर से लापता हो गई थी. मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण परिवार वाले काफी परेशान हो गए थे. गांव से शहर तक खोजबीन की गई. पुलिस ने शिकायत भी दर्ज कर ली थी. नातेदार रिश्तेदार से लेकर हर एक जगह पर दस्तक दी गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अंत में परिवार भगवान  की मर्जी मानकर परिजन थक हार कर बैठ गए.

फेसबुक ने ऐसे की मदद 

वहीं, दूसरी तरफ महिला भटकते-भटकते बनारस पहुंच गई. बनारस में बाइपास रोड पर वंदना को सड़क किनारे असहाय स्थिति में देखा गया. किसी शख्स ने जब उसे इस हालत में देखा तब लावारिस और असहाय लोगों की सेवा करने वाली बनारस की एक संस्था ‘अपना घर आश्रम’ को इस बारे में जानकारी दे दी.

घर की टीम ने की मदद

अपना घर आश्रम से पहुंची टीम ने देखा तो वंदना लेफ्ट हाथ पूरी तरह डैमेज हो चुका था. आश्रम की टीम उसे अपने साथ ले आए और उसका इलाज शुरू किया गया. धीरे-धीरे वंदना आश्रम वालों के साथ घुल मिल गई और फिर उसने बताया कि वह बिहार के भोजपुर में एक गांव की रहने वाली है. इसके बाद आश्रम की ओर से भोजपुर के हसन बाजार थाने से संपर्क किया गया.

फेसबुक ने बिछड़ों को मिलाया

इस बीच आश्रम की ओर से फेसबुक पर भी वंदना की तस्वीर वायरल की गई. भोजपुर में जब परिजनों ने वंदना की तस्वीर देखी तब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. फिर परिजनों ने आश्रम से संपर्क साधा और वंदना का बेटा अपने बहनोई के साथ बनारस आश्रम में पहुंचा. मां को देखते ही परिजनों की आंखों से आंसू छलक पड़े. आखिरकार सारी प्रक्रिया के बाद उसे उसके घर वालों को सौंप दिया गया

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