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Bollywood History: कितने आदमी थे?- गब्बर ने यहीं पूछा था सवाल, धुरंधर फिल्ममेकर इस स्टूडियो की बुकिंग के लिए कतार में लगे रहते थे

Bollywood History: कितने आदमी थे?- गब्बर ने यहीं पूछा था सवाल, धुरंधर फिल्ममेकर इस स्टूडियो की बुकिंग के लिए कतार में लगे रहते थे

Bollywood History: कितने आदमी थे?- गब्बर ने यहीं पूछा था सवाल, धुरंधर फिल्ममेकर इस स्टूडियो की बुकिंग के लिए कतार में लगे रहते थे चलिए मुंबई में आज आपको वहां ले चलते हैं जहां कभी अमजद खान ने अपनी बुलंद आवाज में पूछा था, ‘कितने आदमी थे?’ जी हां, फिल्मनगरी मुंबई का वह स्टूडियो जहां फिल्म ‘शोले’ की डबिंग हुई। और, ‘शोले’ के ही कलाकार भर नहीं।

‘अब ये ताला मैं तुम्हारी जेब से चाभी निकालकर ही खोलूंगा!’

यही वो जगह है जहां अमिताभ बच्चन ने फिल्म ‘दीवार’ का वह सीन शूट किया जिसमें उनका मशहूर संवाद है, ‘अब ये ताला मैं तुम्हारी जेब से चाभी निकालकर ही खोलूंगा!’ शाहरुख खान यहां आए अपनी कालजयी फिल्मों ‘डर’ और ‘दिल तो पागल है’ की शूटिंग करने। लेकिन, अब? अब यहां सिनेप्रेमियों को घुसने तक की मनाही है। खामोश खड़ी दीवारें अपने इतिहास को याद कर गुमसुम सी हैं। भीतर अहाते में ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी हो रही हैं। सिनेमा का स्वर्णिम इतिहास यहां जमींदोज हो रहा है।

इस स्टूडियों की दीवारों से कहानियां निकलती थीं

भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले वी शांताराम ने प्रभात स्टूडियो से अलग होकर साल 1942 में मुंबई के परेल इलाके में राजकमल कलामंदिर के नाम से अपना स्टूडियो बनाया था। पांच एकड़ में फैला ये एक ऐसा स्टूडियो है जहां कई यादगार फिल्मों की शूटिंग हुई। एक समय में इस स्टूडियों की दीवारों से कहानियां निकलती थीं, बॉलीवुड के सितारों और दिग्गज निर्माता निर्देशकों से स्टूडियो गुलजार हुआ करती था। सत्यजीत रे, मनमोहन देसाई, ऋषिकेश मुखर्जी, यश चोपड़ा जैसे निर्देशकों का ये पसंदीदा स्टूडियो रहा। लेकिन आज स्टूडियो के नाम पर सिर्फ एक ही फ्लोर बचा हुआ है, जहां भूले बिसरे कभी कोई शूटिंग करने पहुंच जाता है।

बिना उनके अनुमति के स्टूडियो के परिसर में किसी को आने न दिया जाए

आज राजकमल स्टूडियो के परिसर में 10 इमारतें बन गई हैं और कुछ इमारतों का निर्माण अब भी हो रहा है। वी शांताराम के बेटे किरण शांताराम राजकमल स्टूडियो के परिसर में बने ऑफिस में यदाकदा आते रहते हैं। उन्होंने स्टूडियो के मुख्यद्वार पर सुरक्षा कर्मियों को खास हिदायत दी है कि बिना उनके अनुमति के स्टूडियो के परिसर में किसी को आने न दिया जाए। यहां तक कि फोटो तक खींचने की भी मनाही है। राजकमल स्टूडियो के मुख्य द्वार के पास का टुकड़ा मुंबई महानगर पालिका को दिया गया है जहां पर आरोग्य निधि के तहत प्राथमिक उपचार होता है। आरोग्य निधि के पीछे और राजकमल स्टूडियो के परिसर के बीच थोड़ी सी जगह मुंबई महानगर पालिका को एक बगीचा बनाने के लिए दे दी गई है।

वी शांताराम ने यहां फिल्म ‘शकुंतला’ की पहली शूटिंग

जानकारी के मुताबिक राजकमल कलामंदिर स्टूडियो में करीब दो हजार फिल्मों का निर्माण हो चुका हैं। उन दिनों ‘राजकमल कला मंदिर’ स्टूडियो में कई आधुनिक सुविधाएं थी। अपने जानने की कल्ट फिल्म ‘शोले’ की डबिंग इसी स्टूडियो में हुई थी। बताते हैं कि ये स्टूडियो बनने के बाद वी शांताराम ने यहां फिल्म ‘शकुंतला’ की पहली शूटिंग की। उसके बाद उन्होंने अपने 50 साल के फिल्मी करियर में ‘डॉ. कोटनिस की अमर कहानी’, ‘अमर भोपाली’, ‘झनक-झनक पायल बाजे’, ‘दो आंखें बारह हाथ’ और ‘नवरंग’,जैसी अपनी सभी फिल्मों की शूटिंग यहीं की।

धुरंधर फिल्ममेकर इस स्टूडियो की बुकिंग के लिए कतार में लगे रहते थे

आज इस स्टूडियो में सन्नाटा पसरा है। न पहले जैसी रौनक ना ही कोई चहल पहल। जबकि एक ऐसा भी दौर था जब सत्यजीत रे, मृणाल सेन, मनमोहन देसाई, ऋषिकेश मुखर्जी, जीपी सिप्पी, शक्ति सामंत, श्याम बेनेगल जैसे अपने जमाने के धुरंधर फिल्ममेकर इस स्टूडियो की बुकिंग के लिए कतार में लगे रहते थे। यह वही स्टूडियो है जहां पर दिलीप कुमार ने ‘मशाल’, अमिताभ बच्चन ने ‘दीवार’ और शाहरुख खान ने ‘डर’ और ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्मों की शूटिंग की। राजकमल स्टूडियो की हर दीवार इन कालजयी फिल्मों की रचना की गवाह हैं। मुंबई में सिनेमा की तमाम धरोहरों की तरह ये विरासत भी किसी भी समय गुम होने को है।

 

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