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आकाश में 18 किमी ऊंचाई तक निशाना भेदने वाली आकाश मिसाइल से बचना आसान नहीं

लद्दाख में Galwan Valley Face-Off के बाद भारत और चीन सीमा (Indo-China Border) पर तनाव के हालात बने हुए हैं. ताज़ा खबरें हैं कि भारत ने ज़मीन से हवा (Surface-to-Air) में मार करने वाली आकाश मिसाइल का Air Defense System एलसी पर तैनात किया है. पूरी तरह स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम हर मौसम के लिहाज़ से कारगर है. मीडियम रेंज के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन मिसाइलों में शुमार आकाश कम, मध्यम और ऊंचे क्षेत्रों में मारक क्षमता रखती है. इस मिसाइल और पूरे सिस्टम के बारे में हर ज़रूरी जानकारी.

आकाश मिसाइल के बारे में सब कुछ
आकाश एयर डिफेंस सिस्टम के खास फीचरों, रेंज से जुड़े हर पहलू के साथ ही यहां ये भी जानिए कि क्यों यह दुनिया की सबसे बेहतरीन सरफेस-टू-एयर मिसाइलों में शुमार है.

कितनी है मिसाइल की रेंज और ताकत?

न्यूक्लियर क्षमता वाली यह मिसाइल 2.5 मैक (यानी करीब 860 मीटर प्रति सेकंड) की रफ्तार से 19 किमी तक की ऊंचाई तक उड़ सकती है. फाइटर जेट, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलों और एयर-टू-सरफेस मिसाइलों समेत बैलेस्टिक मिसाइलों को भी ये मिसाइल निशाना बना सकती है और वह भी 30 किमी की दूरी से.

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लंबाई और वज़न?
लॉंच की जाने वाली आकाश मिसाइल का वज़न 720 किलोग्राम है. लंबाई 5.8 मीटर है और इसका व्यास 35 सेंटीमीटर का है. 50 से 60 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम इस मिसाइल के पंख करीब 110 सेंटीमीटर तक फैले हैं.

कैसे अलग और खास है ये मिसाइल?

इस मिसाइल की सबसे खास बात तो यही है कि इसे टैंकों या ट्रकों जैसे चलित प्लेटफॉर्मों से भी लॉंच किया जा सकता है.

दूसरी खास बात ये है कि इस मिसाइल में भारत में ही डेवलप किया गया रडार ‘राजेंद्र’ समायोजित है, जिसके ज़रिये कई दिशाओं से यह मिसाइल टारगेट कर सकती है. इसमें हाई टेक रडार के साथ ही, बगैर थके सुपरसोनिक स्पीड से टारगेट को पहचानने की क्षमता है और इसकी तकनीक के कारण यह मिसाइल किसी इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम को भी तोड़ सकती है.

आकाश मिसाइल की मारक संभावना करीब 90 फीसदी है. पहली मिसाइल के लिए जहां यह संभावना 88 फीसदी है तो दूसरी के लिए 99 फीसदी हो जाती है.

एक और खास बात यह भी है कि आकाश मिसाइल पुख्ता फ्यूल तकनीक, हाई टेक रडार और एक्यूरेसी के मामले में अमेरिकी ‘पैट्रियट’ मिसाइल से बेहतर है और सस्ती भी.

कैसा है पूरा मिसाइल डिफेंस सिस्टम?
3D रडार (PESA), स्विच होने वाला गाइडेंस एंटीना सिस्टम, डिजिटल ऑटो पायलट, रैमजेट प्रोपल्शन जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ बने इस ​मिसाइल सिस्टम में चार राजेंद्र रडार और चार लॉंचर हैं जो आपस में लिंक्ड हैं और ग्रुप कंट्रोल सेंटर से नियंत्रित हो सकते हैं.

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तीन मिसाइलों और एक रडार वाला हर लॉंचर 16 टारगेट को ट्रैक कर सकता है. यानी एक सिस्टम के ज़रिये रडार 64 टारगेट को ट्रैक कर एक के बाद एक 12 आकाश मिसाइलें दाग सकता है.

पूरी तरह स्वदेशी है ये मिसाइल
मिसाइल सिस्टम को एक तरफ DRDO ने डिज़ाइन और डेवलप किया है, तो दूसरी तरफ इसका उत्पादन भारत डायनामिक्स ने किया है और इसके हाई टेक राजेंद्र फेज़्ड ऐरै रडार का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने किया है.

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ताज़ा खबरों की मानें तो चीन के विमानों की आवाजाही एलएसी पर बढ़ती देखी जाने के बाद भारत ने पूर्वी लद्दाख में ‘आकाश’ एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम सीमा पर तैनात किया. खबरों में दावा किया गया है कि चीन ने भी सीमा पर सुखाई 30 जैसे एयरक्राफ्ट तैनात करने के साथ ही स्ट्रैटजिक बॉम्बर भी उस लोकेशन पर भेजे हैं, जहां बीते 15 जून को दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. भारत चीन सीमा से दस किलोमीटर की दूरी तक चीनी एयरक्राफ्टों की गतिविधियां देखी गई हैं.

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