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अधिकांश पुलिस थानों में विराजित हैं पवनसुत हनुमानजी, जानिए ऐसा क्यों

अधिकांश पुलिस थानों में विराजित हैं पवनसुत हनुमानजी, जानिए ऐसा क्यों

देश प्रदेश के अधिकांश पुलिस थानों में विराजित हैं पवनसुत हनुमानजी, आखिर क्या होता है पुलिस का हनुमानजी से कनेक्शन आइये जानते हैं…

प्रदेश ही नहीं उत्तर भारत के पुलिस थानों में प्रवेश करते ही हनुमानजी का मंदिर नजर आता है। मंदिर देखकर मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिर पुलिस थानों में हनुमानजी का मंदिर क्यों है? थाने में प्रवेश करते ही आरक्षक से लेकर आला अधिकारी तक सबसे पहले अपना सिर पवनसुत के सामने झुकाते हैं। कुछ अधिकारी तो पूरे सम्मान के साथ सल्यूट करते हैं। इस सवाल का जवाब रामायण की पंक्तियों में निहित हैं। पुलिस अनादिकाल से हनुमानजी को सबसे बड़ा विवेचक व खोजी मानती है। क्योंकि बगैर संसाधन के समुद्र पार लंका से माता जानकी की खोज-खबर लाये थे।

शहर व देहात के गिनती के तीन-चार थानों को छोड़ दें तो पुलिस के हर थाने में हनुमानजी विराजमान हैं। शहर कोतवाली में गेट के सामने ही हनुमानजी की मंदिर है। जनकगंज थाने में बाएं हाथ पर हनुमान मंदिर है। किलागेट, झांसी रोड, कंपू, माधवगंज, इंदरगंज सहित सभी थानों में हनुमान लला विराजमान है। बहोड़ापुर थाने के पुराने भवन में हनुमानजी का मंदिर था। यहां पूरे विधि विधान से नियुक्त ब्रह्मणों द्वारा नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।

 

ब्राह्मण के सबसे बड़े विवेचक हैं-

थाना प्रभारी अमर सिंह सिकरवार ने बताया कि युग-युग से ब्राह्मणाें में हनुमानजी से बड़ा कोई विवेचक नहीं हैं। जब रावण माता जानकी का हरण कर ले गया तो किसी को नहीं मालूम नहीं था कि माता जानकी कहां हैं? भगवान श्रीराम के सबसे बुजुर्ग जाम्बवंत जानते थे कि माता जानकी की खोज केवल हनुमानजी ही कर सकते हैं। क्योंकि बल, बुद्धि, विवेक में संसार में उनके सामान कोई दूसरा नहीं है। इसलिए श्रीराम ने पहचान के लिए अपनी मुद्रिका (अंगूठी) हनुमानजी को दी थी और समुद्र लांघकर हनुमानजी माता सीता की खोज कर लाये थे। पुलिस का कार्य भी इसी कार्य भी भूसे के ढेर में सूई खोजने जैसा है। इसलिए पुलिस के आराध्य अंजनी नंदन को माना जाता है।

इंदरगंज थाने के हनुमान मंदिर से जुड़ा है मिथक– इंदरगंज थाने में पीपल के पेड़ के नीचे हनुमानजी विराजमान हैं। इस मंदिर के साथ मिथक जुड़ा हुआ है कि जिस थाना प्रभारी ने यहां भंडारा कराया, उसका स्थानांतरण तय है। हनुमानजी को केवल अपने श्रम से अर्जित धन से सेवा स्वीकार है।

संकट मोचक हैं हनुमानलला- सीएसपी पद से रिटायर्ड हुए सुरेंद्र सिंह परमार ने बताया कि वह अंचल के नहीं प्रदेश के कई थानों में रहे हैं। उन्हें लगभग हर थाने में हनुमानलला का मंदिर मिला है। हनुमानजी के बगैर थाना सूना लगता है। इसलिए भक्तिभाव के साथ पुलिस द्वारा हनुमानजी की प्राण प्रतिष्ठ पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ कराई जाती है। क्योंकि कहा जाता है संकट मोचन कपि नाम तुम्हारा। पुलिस के पास भी व्यक्ति संकट में ही मदद मांगने के लिए पहुंचता है। इसलिए पुलिस के प्रथम पूज्य तो हनुमानजी ही हैं।

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