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पुण्य से संम्पदा धन आ रहा है तो उसका कुछ भाग परमार्थ में लगाएं: समता सागर

कटनी। पावनवर्षा योग चतुर्मास की प्रातःकालीन धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये प.पू. निर्यापक श्रमण समता सागर जी महाराज ने कहा जो अपने पास है वह पर्याप्त है इतना संतोष रखकर जीवन जीये और यदि आपके पुण्य से संम्पदा धन आ रहा है तो उसका कुछ भाग परमार्थ में लगाये धन को अपने ऊपर हाबी न होने से र्निविकल्प होकर अपना कार्य करें।

जो व्यक्ति राष्ट्रहित में प्राकृतिक आपदा में एवं दीनहीन तो अपने कमायें धन का कुछ भाग दान देता है। उसका जीवन सुखमय होता है, क्योंकि कहा गया है कि ‘‘ सांई इतना दीजिये जामै कुटुम्ब समाये खुद भी भूख ना रहूं साधु भी भूखा ना जाए‘‘

परम पूज्य महासागर जी सागर ने बतलाया कि विज्ञान से बने उपकरण-मोबाईल आदि का आवश्यकता पड़ने पर ही उपयोग करें आज देखने में आ रहा है कि मोबाईल का अत्याधिक उपयोग करने से बच्चों के मन में वाट्सअप के माध्यम से आने कार्यक्रमों को देखने से बहुत बुरा असर पड़ रहा है उनसे उनका दिल दिमाक दूषित हो रहा है और उनके अंदर विनय गुण, वात्सल्य गुण समाप्त होते हा रहे है क्यों कि यदि परिवार में 04 सदस्य है तो चारों का अधिकांश समय मोबाईल देखने में लगा रहता है जिससे परिवार के सदस्य एक दूसरे बात नहीं कर पाते मुनिश्री ने आगे कहा मन,वचन,काय को शुद्ध करने हेतु यंत्र की नहीं मंत्र (धर्म) की शरण में जाये क्यों कि धर्म की शरण जाने से मोक्ष का मार्ग प्रशास्त होता है।

 

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