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कोरोना कमजोर रहा तो अप्रत्यक्ष प्रणाली से सितंबर- अक्टूबर में हो सकते हैं MP के निकाय चुनाव

राजधानी भोपाल में हलचल तेज है। सूत्रों के अनुसार यह हलचल निकाय चुनाव को लेकर है।

भोपाल। राजधानी भोपाल में हलचल तेज है। सूत्रों के अनुसार यह हलचल निकाय चुनाव को लेकर है। माना जा रहा है कि सितंबर अक्टूबर तक एमपी में चुनाव की घोषणा हो सकती है बशर्ते कोरोना कमजोर रहे। 

मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव उसी सिस्टम से होंगे, जैसा कमलनाथ चाहते थे। अब महापौर और अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। शिवराज सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि नगरीय निकायों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही कराएं। यानी नगर निगमों में महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्षों को पार्षद चुनेंगे। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के वक्त भी महापौर और निकाय अध्यक्ष ऐसे ही चुने जाते थे।

राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने बताया कि नगरीय निकाय चुनाव पहले होंगे। इसके बाद पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर नहीं आती है या फिर कमजोर होती है तो सितंबर-अक्टूबर में चुनाव करा लिए जाएंगे। इसके बाद पंचायत चुनाव कराने की तैयारी है।

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि सरकार ने नगरीय निकाय के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया है। इसको लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने राज्य चुनाव आयोग को पत्र भेज दिया है। आयोग ने इस पत्र के आधार पर चुनाव प्रक्रिया को लेकर एक बैठक कर ली है। मध्य प्रदेश में 2015 तक महापौर-अध्यक्ष के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते रहे हैं, लेकिन तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का फैसला किया था।

कोरोना कमजोर रहा तो अप्रत्यक्ष प्रणाली से सितंबर- अक्टूबर में हो सकते हैं MP के निकाय चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग को सरकार की तरफ से लिखा गया पत्र।

बजट सत्र में नहीं किया था विधेयक पेश
कमलनाथ सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराज सरकार ने दिसंबर 2020 में कमलनाथ सरकार के फैसले को पलट दिया था। यानी महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का अध्यादेश जारी कर दिया था। अध्यादेश की अवधि समाप्त होने से पहले मध्य प्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक 2021 को शिवराज सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र में पेश नहीं किया था। जबकि प्रस्तावित विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी दे दी गई थी। आयोग को लिखे पत्र में सरकार ने इसका हवाला दिया है कि विधेयक को विधानसभा से मंजूरी नहीं मिलने के कारण अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाएं।

पहले नगरीय निकाय के चुनाव
राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रभावी नियंत्रण और वैक्सीनेशन की स्थिति के मद्देनजर वर्तमान में आम निर्वाचन करवाया जाना संभव है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पहले से ही आम निर्वाचन बहुत लेट हो चुके हैं। सिंह ने कहा कि पहले नगरीय निकायों के निर्वाचन करवाए जाएंगे।

347 नगरीय निकायों में होगा चुनाव
बैठक में जानकारी दी कि प्रदेश में कुल 407 नगरीय निकाय हैं। इनमें से 347 में आम निर्वाचन कराये जाना है। दो चरण में मतदान होगा। प्रथम चरण में 155 और दूसरे चरण में 192 नगरीय निकायों में मतदान कराया जायेगा। महापौर/अध्यक्ष का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा। इन 347 नगरीय निकायों में सभी 16 नगर निगम शामिल हैं। बता दें कि अभी 60 नगरीय निकायों का कार्यकाल बाकी है।

महापौर और निकाय अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के कमलनाथ के फैसले को भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या बताया था और जमकर विरोध किया था। भाजपा के सभी पुराने महापौर इस फैसले के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन से मिले थे।

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