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Durga Saptashati Path: मां शक्ति की आराधना ‘ॐ जय अम्बे गौरी ‘ की आरती और ‘दुर्गा सप्तशती’ पाठ के बिना अधूरी

नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा-आराधना में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भक्तों के लिए बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है। मार्कण्डेय पुराण में दुर्गा सप्तशती उल्लेख किया गया है। मां शक्ति की उपासना के लिए दुर्गा सप्तशती श्रेष्ठ ग्रंथ माना है। इसमें 700 श्लोक और 13 अध्याय है।

Navratri 2022 Durga Mata Ki Aarti And Durga Saptashati Path Benefits: 26 सितंबर, सोमवार से देवी आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर शुभ मुहुर्त पर कलश स्थापना करते हुए नौ दिनों तक देवी मां दुर्गा का आराधना, साधना और स्तुति की जाएगी। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर शक्ति आराधना पूरे 9 दिनों तक की जाएगी। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार और विदाई बुधवार को होगी ऐसे में देवी मां के धरती पर आगमन और जाने का वाहन दोनों ही हाथी पर होगा। नवरात्रि पर जब माता का आगमन और विदाई दोनों ही हाथी की सवारी पर होती है तो यह बहुत ही शुभ, समृद्धि और फलदायी मानी जाती है। ऐसे में यह शारदीय नवरात्रि आमजन और देश के लिए अच्छे संकेत हैं। इसके अलावा इस बार शारदीय नवरात्रि पर किसी भी तिथि का क्षय नहीं होगा जिससे शारदीय नवरात्रि अखंड नवरात्रि होगी। नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक देवी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-उपासना करते हुए देवी दुर्गा की कृपा प्राप्ति की जाती है। नवरात्रि पर मां के भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और हर दिन सुबह-शाम के समय देवी की आराधना और स्तुति करते हैं। देवी दुर्गा की स्तुति में दुर्गासप्तशी पाठ और ऊं जय अंबे गौरी…की आरती का विशेष महत्व होता है।

मां दुर्गा जी की आरती 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व

नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा-आराधना में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भक्तों के

लिए बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है। मार्कण्डेय पुराण में दुर्गा सप्तशती

उल्लेख किया गया है। मां शक्ति की उपासना के लिए दुर्गा सप्तशती श्रेष्ठ ग्रंथ माना

है। इसमें 700 श्लोक और 13 अध्याय है। जिसे तीन चरित्रों में बांटा गया है। पहले

चरित्र में महाकाली,दूसरे चरित्र में महालक्ष्मी और तीसरे चरित्र में महा सरस्वती है।

 

दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय

1. प्रथम अध्याय : इस अध्याय में मेधा ऋषिका राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु कैटभ का प्रसंग

2. द्वितीय अध्याय : दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय में देवताओं के तेज से देवी मॉं का प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना का वध

3. तृतीय अध्याय : इस अध्याय में मां दुर्गा द्वारा सेनापतियों सहित महिषासुर का वध

4. चतुर्थ अध्याय : इंद्र समेत सभी देवी- देवताओं द्वारा देवी मां की स्तुति

5. पंचम अध्याय : देवी की स्तुति और चण्ड-मुण्ड के मुख से अम्बिका के रूप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ का उनके पास दूत भेजना और फिर दूत का निराश लौटना

6. षष्ठम अध्याय : धूम्रलोचन- वध

7. सप्तम अध्याय : चण्ड-मुण्ड का वध

8. अष्टम अध्याय : रक्तबीज का वध का वर्णन

9. नवम अध्याय : विशुम्भ का वध

10. दशम अध्याय : शुम्भ का वध

11. एकादश अध्याय : सभी का वध करने के बाद देवताओं के द्वारा देवी की स्तुति,  देवी द्वारा देवताओं को वरदान देना

12. द्वादश अध्याय : देवी-चरित्रों के पाठ का माहात्म्य

13. त्रयोदश अध्याय : सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान

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