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चीनी घुसपैठ नाकाम, पत्थरबाजी में दोनों तरफ के जवान घायल

चीनी घुसपैठ नाकाम, पत्थरबाजी में दोनों तरफ के जवान घायल
लेह। डोकलाम में जारी तनाव के बीच चीनी सेना ने लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की है। जब भारत अपना 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तब चीनी सैनिकों ने लद्दाख की मशहूर पैंगगांग झील के निकट स्थित रास्ते ते चीनी सैनिक दो बार घुसे। हालांकि भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर दिया। भारतीय प्रतिरोध के दौरान दोनों ओर से हुई पत्थरबाजी में दोनों तरफ के सैनिक मामूली रूप से घायल हो गये।
सैन्य अधिकारियों के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक मंगलवार की सुबह दो तरफ से भारतीय सीमा में घुस आए। लद्दाख के सामरिक महत्व के क्षेत्र फिंगर-4 और फिंगर-5 इलाकों में चीनी घुसपैठ तड़के सुबह छह बजे और फिर नौ बजे हुई।
लेकिन दोनों ही मौकों पर पहले से सतर्क भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया। जब चीनी सेना ने देखा कि भारतीय सैनिकों ने मानव श्रृंखला बनाकर उनका आगे बढ़ने का रास्ता रोक दिया है। उन्होंने भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिये। इसके बाद भारतीय जवानों ने भी पत्थरबाजी करके मुंहतोड़ जवाब दिया।
दोनों देशों के जवानों के घायल होने के बाद हालात पर काबू पाने के लिये परंपरागत बैनर ड्रिल की गई। इसके तहत दोनों सेनाओं ने अपना-अपना स्थान ले लिया। दरअसल भारत के स्वतंत्रता दिवस पर चीन की यह गुस्ताखी और भी नागवार गुजरी है। चीनी सुरक्षा बल पहले झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाके से घुसपैठ की कोशिशें करते रहे हैं। लेकिन लद्दाख के भारतीय क्षेत्र फिंगर-4 पर अपना दावा ठोंकने वाली चीनी सेना ने कई बरसों में पहली बार घुसपैठ के लिये यह रास्ता चुना।
90 के दशक के आखिर में जब भारत पक्ष ने अपने दावे पर बातचीत शुरू की तो चीनी सेना ने वहां एक सड़क बना डाली और दावा किया कि वह अक्साई चिन का हिस्सा है। चीन ने फिंगर-4 पर जो सड़क बनाई है वह सिरी जाप क्षेत्र में खत्म होती है जो भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पांच किलोमीटर अंदर आकर खत्म होती है। इधर, चीन की इस घुसपैठ के संबंध में नई दिल्ली में सेना के प्रवक्ता ने फिलहाल टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है।
गौरतलब है कि खूबसूरत पैंगगांग झील का 45 किलोमीटर तक फैला हिस्सा भारत में आता है जबकि 90 किलोमीटर का हिस्सा चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में आता है।

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