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ISRO: सबसे भारी रॉकेट एलवीएम-3 अब और ताकतवर, 450 किलो वजनी उपग्रह भी कर सकेगा प्रक्षेपित

ISRO: सबसे भारी रॉकेट एलवीएम-3 अब और ताकतवर, 450 किलो वजनी उपग्रह भी कर सकेगा प्रक्षेपित

ISRO: सबसे भारी रॉकेट एलवीएम-3 अब और ताकतवर, 450 किलो वजनी उपग्रह भी कर सकेगा प्रक्षेपित भारत के सबसे भारी रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (एलवीएम3) की अंतरिक्ष में उपग्रह व उपकरण प्रक्षेपित करने की क्षमता 450 किलो तक बढ़ा दी गई है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा इसके क्रायोजेनिक इंजन सीई20 का बुधवार को किया ताजा परीक्षण सफल रहा। यह इंजन भारत में ही विकसित किया गया है।

इसरो ने बताया कि पहली बार थ्रस्ट लेवल को बढ़ा कर 21.8 टन पर हॉट टेस्ट किया गया। हॉट टेस्ट यानी इंजन के संचालन से जुड़े सभी मानकों का 100 प्रतिशत परीक्षण, जिसमें इंजन की वास्तविक क्षमता मापी जाती है। परीक्षण के दौरान इंजन ने पहले 40 सेकंड तक करीब 20 टन थ्रस्ट लेवल पर काम किया।

इसके बाद इसे थ्रस्ट कंट्रोल वाल्व (टीसीवी) की मदद से 21.8 टन तक पहुंचाया गया। परीक्षण में इंजन और उसका प्रदर्शन सामान्य पाए गए और चाहे गए परिणाम भी हासिल हुए। इसरो के अनुसार, एलवीएम3 की उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाने की क्षमता बढ़ाने में इस परीक्षण से मदद मिलेगी। यह वृद्धि 450 किलो तक हो सकती है। इसके साथ अतिरिक्त प्रोपेलेंट भी लोड होगा।

तीन स्टेज का रॉकेट

एलवीएम3 तीन स्टेज का रॉकेट है। इसमें 4 टन तक के उपग्रह व उपकरण जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में पहुंचाने की क्षमता है। जीटीओ समुद्र सतह से 35,786 किमी ऊंचाई पर माना जाता है।

इन बदलावों से किया सुधार

इसरो के अनुसार, पुराने इंजनों के मुकाबले सीई20 में बड़े बदलाव किए गए। इनमें टीसीवी शामिल हैं, जो रॉकेट के थ्रस्ट यानी धकेले की शक्ति को नियंत्रित करता है।
साथ ही 3डी प्रिंटर से लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन ईंधन टरबाइन एग्जॉस्ट केसिंग बनाई गई, इन्हें इंजन में पहली बार लगाया गया।

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