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मध्य प्रदेश में थ्री इडियट्स की वेंटिलेटर एक्सप्रेस कोरोना से संक्रमित लोगों के लिए सांसों का इंतजाम करने में जुटी, ये है दोस्तों की कहानी

यह कहानी इंदौर के तीन इंजीनियर दोस्तों की है। एक करीबी को वेंटिलेटर की दिक्कत होने के बाद इन दोस्तों ने थ्री इडियट्स के नाम से ग्रुप बनाया

भोपाल। मध्य प्रदेश में थ्री इडियट्स की वेंटिलेटर एक्सप्रेस कोरोना से संक्रमित लोगों के लिए सांसों का इंतजाम करने में जुटी है। यह कहानी इंदौर के तीन इंजीनियर दोस्तों की है। एक करीबी को वेंटिलेटर की दिक्कत होने के बाद इन दोस्तों ने थ्री इडियट्स के नाम से ग्रुप बनाया और वेंटिलेटर सुधारने और प्रधानमंत्री केयर फंड से प्राप्त वेंटिलेटर को इंस्टाल करने का बीड़ा उठाया। इंजीनियर होने के कारण जुगाड़ से मशीनों को ठीक करने की कला यह जानते थे। इसी जुगाड़ से इन्होंने वेंटिलेटरों को इंस्टाल किया। बनारस और पटना के इंजीनियर भी अब ऐसा ही काम अपने- अपने शहरों में कर रहे हैं।

सांसों के इंतजाम में जुटी थ्री इडियट्स की वेंटिलेटर एक्सप्रेस

कोरोना की दूसरी लहर में वेंटिलेटर की अत्यधिक आवश्यकता पड़ने लगी। हर जगह से वेंटिलेटर की कमी की खबरें आ रही थी। जहां वेंटिलेटर थे, वहां छोटी- छोटी दिक्कतों के चलते इनका उपयोग नहीं हो रहा था, क्योंकि कंपनियों के इंजीनियर अचानक आई मांग को पूरा नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में इंदौर के तीन युवाओं पंकज क्षीरसागर, शैलेंद्र सिंह और चिराग शाह ने वेंटिलेटर इंस्टाल करने की ठानी।

इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) से इसकी शुरुआत की। काम सफल रहा और इसके बाद अब तक इन्होंने निशुल्क सेवा देते हुए इंदौर, महू, धार, शाजापुर, राजगढ़, सागर, दमोह, कटनी, मंडला और शहडोल जिलों में सौ से अधिक वेंटिलेटर को इंस्टाल या सुधारने का काम किया। अब इन्हें महाराष्ट्र के नासिक और कर्नाटक के हुबली से भी बुलावा आया है। एमवायएच के अधीक्षक डॉ पीएस ठाकुर ने एक वीडियो जारी कर इन युवाओं के कार्य की सराहना करते हुए वेंटिलेटर के काम करने की पुष्टि की है। वहीं, इस टीम से अन्य लोग भी जुड़ रहे हैं। बनारस में नित्यानंद 12 मशीनें ठीक कर चुके हैं तो पटना में रितेश मशीनों को सुधारने में मदद कर रहे हैं।

ऐसे किया जुगाड़

पंकज क्षीरसागर ने बताया कि वेंटिलेटर में यूपीएस, मॉनिटर व कंप्रेसर मुख्य पार्ट्स होते हैं। अधिकांश मशीनों में कुछ न कुछ खराबी थी। अप्रैल माह में जब इन मशीनों की बेहद जरूरत थी, तब से हमारी टीम रेड जोन में भी जाकर काम करती रही। कुछ मशीनों के लिए पार्ट्स खरीदे तो कुछ जगह अन्य मशीनों से ही इन्हें निकालकर दूसरी मशीनों को चालू किया।

ऐसे हुई शुरुआत

एक निजी अस्पताल में सांसों के लिए संघर्ष करते अपने दोस्त की असहाय परिस्थिति को देखकर पंकज क्षीरसागर ने 13 अप्रैल की रात फेसबुक पोस्ट की। फेसबुक फ्रेंड चिराग शाह ने उनसे संपर्क किया। अगले दिन दोनों एमवायएच के अधीक्षक डॉ. ठाकुर से मिले। ठाकुर ने वेंटिलेटर इंस्टाल करवाने की आवश्यकता बताई। दोनों ने उनसे मशीनें दिखाने को कहा।

तीसरे इंजीनियर दोस्त शैलेंद्र सिंह को भी बुलाया। कोशिश शुरू की और पहली मशीन करीब चार घंटे में तैयार हो गई। देर रात तक नौ नई मशीनों को इंस्टाल किया और तीन में सुधार कार्य किया। इसके बाद से अब तक वेंटिलेटर एक्सप्रेस का सफर जारी है।

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