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चीफ जस्टिस खेहर का खून लेने से डॉक्टरों ने किया मना, जानिए वजह

नई दिल्ली। हर तीन महीने के अंतराल में चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में जाकर रक्तदान करते हैं। वह यह काम बीते 4 दशक से कर रहे हैं। मगर, अब डॉक्टरों ने उन्हें रक्तदान नहीं करने के बारे में हिदायत दे दी है। बुधवार को वह आखिरी बार एम्स में रक्तदान कर पाएंगे।
देश के 44वें चीफ जस्टिस के तौर पर काम करने वाले खेहर के दोस्तों और साथ काम करने वालों का समूह बहुत छोटा है। शांत और एकांतप्रिय रहने वाले खेहर के लिए रक्तदान एक मिशन की तरह है। खेहर के साथ काम कर चुके लोगों ने कहा कि ब्लड डोनेट करने के बाद वो तुरंत बेंच पर वापस आ जाते थे और काम करते थे।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोशिएसन की ओर से आयोजित किए गए किसी भी ब्लड डोनेशन कैंप में रक्तदान करना नहीं छोड़ते थे। गौरतलब है कि डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी थी कि वह 60 साल की उम्र के बाद रक्तदान नहीं करें। मगर, वह नहीं माने और यह सिलसिला जारी रहा।
मगर, अब उनके 65 साल की उम्र में पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने अपने हाथ खींच लिए हैं और साफ शब्दों में कह दिया है कि वह अब और रक्तदान नहीं कर सकते हैं। वह 27 अगस्त को 65 साल की उम्र पार करने के बाद अपने पद से रिटायर हो रहे हैं।
चिकित्सा नियमों के तहत कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर 90 दिनों में रक्त दान कर सकता है। हालांकि, नियमों में साफतौर पर कहा गया है कि 18 से 60 वर्ष के बीच का व्यक्ति स्वेच्छा से रक्तदान कर सकता है और दाता का वजन 45 किलो से कम नहीं होना चाहिए।
चीफ जस्टिस खेहर का खून लेने से डॉक्टरों ने किया मना, जानिए वजह

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