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नगरीय निकाय चुनावः भाजपा के लिए ‘रेड अलर्ट’, कांग्रेस को भी चिंता की जरूरत

नगरीय निकाय चुनावः भाजपा के लिए 'रेड अलर्ट', कांग्रेस को भी चिंता की जरूरत

भोपाल।  मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों से चुनाव का जिक्र आते ही एक ही सवाल सामने आता था, ‘भाजपा कितने अंतर से जीती या फिर कितनी सीटों पर फतह हासिल की. लेकिन पिछले कुछ समय से राज्य की राजनीति करवट ले रही है और कांग्रेस भी मुकाबले में नजर आती दिख रही है.

कम से कम राज्य में हाल ही में हुए 43 नगरीय निकायों में हुए चुनाव के नतीजें संकेत दे रहे है कि भाजपा के लिए चौथी बार राज्य की सत्ता हासिल करना आसान नहीं होगा. नगरीय निकाय चुनाव में नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष पद पर 2012 की तुलना में कांग्रेस बेहतर स्थिति में नजर आ रही है.
2012 में सात सीटों पर सिमट गई कांग्रेस के इस बार 15 अध्यक्ष चुनकर आए हैं. इसमें शमशादाबाद और गाडरवाडा का अध्यक्ष पद भी शामिल हैं, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाने की कवायद की गई है. हालांकि, मतदाताओं ने कांग्रेस के अध्यक्ष पर अपना भरोसा कायम रखा.

वहीं, पिछली बार 27 जगहों पर काबिज भाजपा को इस बार दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद भाजपा का विजयी रथ पिछले 14 साल से सरपट दौड़ता रहा है, लेकिन मौजूदा नतीजें पार्टी के लिए खतरे की घंटी है.
हालांकि, भाजपा का जनाधार बहुत ज्यादा दरका नहीं है. फिर भी नतीजें बताते हैं कि कांग्रेस को कमजोर समझना बड़ी भूल साबित हो सकता है. खासतौर पर किसान आंदोलन के बाद हुए चुनावों में भाजपा को मंदसौर में तीनों जगहों पर हार का सामना करना पड़ा है.

वहीं, शिवराज सिंह चौहान के रोड शो के बाद भी रतलाम के सैलाना और बैतूल के सारणी में प्रतिष्ठा की लड़ाई में भाजपा को शिकस्त झेलनी पड़ी.

सिंधिया और भूरिया को भी झटका, कमलनाथ रियल विनर
ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-मुरैना में कांग्रेस नहीं जीत सकी. ग्वालियर के डबरा और मुरैना के कैलारस में आजादी के बाद भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज की है. कांग्रेसी सांसद कांतिलाल भूरिया के प्रभाव वाले झाबुआ-अलीराजपुर में कांग्रेस ऐतिहासिक जीत हासिल नहीं कर सकी. आदिवासी अंचल में भाजपा ने अपना दबदबा दिखाया है.
जिले में छह जगह हुए नगरीय निकाय चुनाव में चार जगहों पर कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल की है. खास बात है कि तीन जगहों पर भाजपा का कब्जा था, जिसे ध्वस्त करते हुए कांग्रेस ने फतह किया है.
उधर छिंदवाड़ा जिले में छह जगह हुए नगरीय निकाय चुनाव में चार जगहों पर कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल की है. खास बात है कि तीन जगहों पर भाजपा का कब्जा था, जिसे ध्वस्त करते हुए कांग्रेस ने फतह किया है.
इसे कमलनाथ के जादू का ही असर माना जा रहा है कि भाजपा और निर्दलीय को एक-एक जगह पर ही जीत मिल सकी.

भाजपा के लिए ‘खतरे की घंटी’
भाजपा को सीटों के लिहाज से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ हो, लेकिन जीत का अंतर कम होने और कांग्रेस के बढ़ते वोट प्रतिशत पार्टी के लिए चिंता बढ़ाने वाला है. तीन विधानसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खा चुकी कांग्रेस के लिए चुनाव नतीजें संजीवनी का काम कर सकते है, तो भाजपा को जरूतर है अलर्ट होने की.

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