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कैंसर के इलाज में आयुर्वेद का चमत्कारिक असर, MP के 2 आयुष अस्पताल में हो रहा इलाज

कैंसर का आयुर्वेद में इलाज संभव है, क्या कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज से व्यक्ति पूरी तरह ठीक हो जाता है,

भोपाल। क्या कैंसर का आयुर्वेद में इलाज संभव है, क्या कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज से व्यक्ति पूरी तरह ठीक हो जाता है, आयुर्वेद में कर्क रोग के इलाज मध्यप्रदेश के किस अस्पताल में होता है? यह सब सवालों का जवाब आज हम आपको दे रहे हैं। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में ऐसे अस्पताल हैं जहां आयुर्वेद के माध्यम से कैंसर का इलाज किया जाता है।

MP कैंसर के आयुर्वेदिक हॉस्पिटल

मध्य प्रदेश के 2 अस्पतालों में कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। पहला पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वैदिक अस्पताल भोपाल और दूसरा शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कालेज इंदौर में स्थित है। दोनों सरकारी अस्पतालों की सक्सेस रेट काफी अच्छी आ रही है।

कैंसर की जड़ी-बूटी कौन सी है?

शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कालेज के प्रोफेसर डॉ अखिलेश भार्गव ने मीडिया को बताया कि जैविक हल्दी, तुलसी, सदाबहार,गूग्गुलु ,शिलाजीत, पुनर्नवा, काली तुलसी, सहजन एवं अनेक औषधियों के द्वारा कैंसर का इलाज किया जा रहा है। कैंसर के घाव काे गाय के घी से बनी दवा जात्यादि घृत के द्वारा पट्टी करके इलाज किया जाता है। गाै मूत्र से बनी दवाई हर्बल कीमोथेरेपी की तरह काम करती है। यह शरीर में कैंसर की गांठ को कम करती हैं और कैंसर सेल को मारने का काम करती हैं।

क्या कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज है

शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कालेज के प्रोफेसर डॉ अखिलेश भार्गव के मुताबिक अस्पताल में कैंसर रोगियों को यहां पर चिकित्सा एवं परामर्श दिया जाता है। इसके अलावा नए कैंसर रोगियों की उन मरीजों से भी बात करवाई जाती है जो कैंसर से पूरी तरह ठीक हो चुके है। हमारे अस्पताल में हर माह 25 से 30 मरीज इलाज लेने के लिए आते हैं, इसके अलावा कुछ मरीज फोन पर भी परामर्श लेते है।

क्या कैंसर ठीक हो जाने के बाद फिर से हो सकता है

शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डा. सतीश शर्मा बताते हैं कि कई मरीजों में की कैंसर की बीमारी पूरी तरह सही हो जाने के बाद भी दोबारा कुछ समय बाद दोबारा होने की संभावना हो जाती हैं। ऐसे मरीज भी हमारे सामने आए हैं। आयुर्वेद का मानना है कि शरीर में कुछ दोष सुप्तावस्था में पड़े हुए रहते हैं और अनुकूल परिस्थितियां पाकर दोबारा रोग को पैदा करते हैं। इसलिए एक बार कैंसर समाप्त हो जाने के बाद भी उन दोषों को साम्यावस्था में करने अथवा शरीर से निकालने के लिए मरीजों को संशमन एवं संशोधन चिकित्सा भी अवश्य लेना चाहिए ताकि यह बीमारी दोबारा ना हो।
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