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इन 3 सीटों के लिये भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर

इन 3 सीटों के लिये भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर
अहमदाबाद। उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद गुजरात में होने वाला राज्यसभा चुनाव राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गया है। आठ अगस्त को राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस के आला नेताओं ने गुजरात में डेरा जमा लिया है। इस चुनाव में खास तौर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का राजनीतिक कौशल दांव पर लगा है।
कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर –
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। पार्टी को अपने विधायकों में मची भगदड़ को रोकने के लिए उन्हें बेंगलुरु ले जाना पड़ा वहीं राकांपा भी उसे आंखें दिखा रही है। दूसरी तरफ चुनाव में नोटा का बटन भी उसे परेशान कर रहा है।राज्यसभा का चुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा से अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तय मानी जा रही है। लेकिन भाजपा अपने अतिरिक्त 33 मतों के बूते बलवंतसिंह राजपूत को चुनाव जिताने में जुटी है। रविवार को शाह के आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई गई।
एनसीपी के रुख पर संशय कायम – 
इस बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने उनके साथ दगाबाजी की थी। अहमद पटेल को वोट देने का फैसला आलाकमान करेगा। उन्होंने कहा कांग्रेस वर्तमान हालत के लिए खुद जिम्मेदार है। कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत ने कहा है कि बहुमत होने के बाद भी भाजपा तोड़फोड़ की राजनीति कर रही है
चुनावी मैदान में ये चेहरे
अमित शाह –
अमित शाह किसी परिचय के मोहताज नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह की अगुवाई में देश के 18 राज्यों में केसरिया झंडा लहरा है। राज्य की राजनीति से हटकर अब वो राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक दे चुके हैं।
स्मृति ईरानी – 
स्मृति ईरानी केंद्र सरकार में टेक्सटाइल मंत्री हैं, फिलहाल वो सूचना प्रसारण मंत्रालय की कमान संभाल रही हैं।
अहमद पटेल – 
अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं। यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में सीधे तौर पर बिना किसी जिम्मेदारी निभाते हुए ताकतवर थे।
बलवंत सिंह राजपूत – 
बलवंत सिंह राजपूत, कांग्रेस को अलविदा कहने वाले कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला के रिश्तेदार है। इनके चुनावी अखाड़े में उतरने की वजह से चुनाव दिलचस्प हो गया है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए शिवाजी सरकार ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस के लिए ये सम्मान की लड़ाई बन चुकी है, ठीक वैसे ही अहमद पटेल को रोकने के लिए भाजपा कोशिश करेगी। अगर अहमद पटेल हार जाते हैं तो भाजपा जिस रणनीति के तहत विधानसभा चुनाव में उतरने की कोशिश करेगी उसमें बदलाव नहीं करेगी। लेकिन अहमद पटेल की जीत से भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी होगी। इतना ही नहीं गुजरात विधानसभा का चुनाव देश की राजनीति की दिशा को तय करेगा।
रास चुनाव का ये है गणित – 
विधानसभा में भाजपा के 121, कांग्रेस के 51, राकांपा के दो, जदयू का एक और एक निर्दलीय विधायक है। जीत के लिए किसी उम्मीदवार को 44 मतों की जरूरत होगी। लेकिन, वाघेला और उनके समर्थक विधायक नोटा का इस्तेमाल करते हैं, तो कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है।
अब कांग्रेस विधायक बैक टू गुजरात –
बीते कई दिनों से बेंगलुरु के एक रिजोर्ट में रह रहे गुजरात कांग्रेस के 44 विधायक वापस अहमदाबाद लौट आए हैं। इन विधायकों को अहमदाबाद से कुछ दुर आनंद के नित्यानंद रिजार्ट में ठहराया गया है। इन विधायकों को बुधवार को सीधे यहीं से मतदान के लिए विधानसभा ले जाया जाएगा। आनंद पुलिस का कहना है कि विधायकों की हिफाजत के लिए रिजार्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तैद है।
भाजपा पर खरीद-फरोख्त का आरोप –
कांग्रेस ने 8 अगस्त को गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा पर अपने विधायकों को लालच और धमकी से तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए 44 एमएलए बेंगलुरु भेज दिए थे। जहां इन्हें एक रिजॉर्ट में ठहराया गया था। मंगलवार को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले अहमद पटेल आज शाम रिजार्ट में सभी विधायकों से मुलाकात करेंगे। इससे पहले अहमद पटेल ने कहा कि वो राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। सभी विधायक उनके साथ हैं।
भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तो कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल के उम्मीदवार होने की वजह से इस पर सबकी निगाहें हैं। इन तीनों की ही जीत तय थी लेकिन कांग्रेस के छह विधायकों के पार्टी छोड़ने और भाजपा के एक और उम्मीदवार खड़ा करने से यहां मामला पेचीदा हो गया है।
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