HOMEMADHYAPRADESH

22 महीने बाद कमल नाथ सरकार के इन फैसले को पलटने जा रहे शिवराज

22 महीने बाद कमल नाथ सरकार के इन फैसले को पलटने जा रहे शिवराज

शिवराज सरकार 22 महीने बाद कमल नाथ सरकार के फैसले को पलटने जा रही है। मंगलवार को कैबिनेट प्रदेश के सातों पोषण आहार प्लांट महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपने का निर्णय ले सकती है। इसे लेकर सरकार की तैयारी पूरी हो गई है। संभवत: दिसंबर से समूहों के सातों परिसंघ सरकारी प्लांटों में पोषण आहार उत्पादन शुरू कर देंगे। हालांकि ये निर्णय लेने में वर्तमान सरकार को भी डेढ़ साल का समय लग गया। क्योंकि पोषण आहार व्यवस्था से जुड़े विभागों को एक राय बनाने में वक्त लगा है। मार्च 2020 में मुख्यमंत्री बनते ही शिवराज सिंह चौहान ने सातों प्लांट एमपी एग्रो से वापस लेकर समूहों के परिसंघों को सौंपने का निर्णय लिया था।

प्रदेश के 97 हजार 135 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीबद्ध छह माह से तीन साल के बच्चों, गर्भवती-धात्री माताओं और किशोरियों को टेकहोम राशन (टीएचआर) दिया जाता है। फरवरी 2018 तक टीएचआर पर ठेकेदारों का कब्जा था, वे महिला एवं बाल विकास विभाग से ऑर्डर लेकर सीधे आंगनबाड़ी केंद्रों तक पोषण आहार पहुंचाते थे, पर वर्ष 2017 में पोषण आहार सप्लाई करने वाली कंपनियों से विवाद के बाद राज्य सरकार ने मार्च 2018 में व्यवस्था बदल दी। 13 मार्च 2018 की कैबिनेट ने पोषण आहार उत्पादन का जिम्मा स्व-सहायता समूहों के परिसंघ को सौंपते हुए प्रदेश में सात सरकारी प्लांट तैयार करने का भी निर्णय लिया था।

इन प्लांटों को अक्टूबर 2018 में काम शुरू करना था, पर समय से तैयार नहीं हुए। वर्ष 2019 में धार, देवास, होशंगाबाद, सागर एवं मंडला के प्लांट तैयार हुए और उनमें उत्पादन शुरू हुआ था कि अक्टूबर 2019 में तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने इस व्यवस्था से समूहों को हटा दिया और एमपी एग्रो को प्लांट सौंप दिए। कैबिनेट में अतिरिक्त एजेंडे के रूप में आए इस प्रस्ताव को एक मिनट में पारित कर दिया गया। रीवा और शिवपुरी के प्लांट वर्ष 2020 में तैयार हुए। ज्ञात हो कि वर्तमान में प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में हर माह औसत 1050 टन पोषण आहार दिया जा रहा है।

– प्लांटों का संचालन, प्रबंधन, उत्पादन, वितरण और वित्तीय नियंत्रण स्व-सहायता समूहों को सौंपा जाएगा।

– सालभर में प्लांट को जो लाभ होगा। उसमें से पांच फीसद राशि प्लांट के रखरखाव के लिए आरक्षित कर शेष राशि सभी संकुल स्तरीय संगठनों में समान अनुपात में बांटी जाएगी।

– जिन भूमि-भवनों में प्लांट संचालित हैं, वह पंचायत विभाग की संपत्ति रहेंगे। भवन, प्लांट, मशीनों की देखरेख का जिम्मा समूहों के परिसंघ का होगा।

– एमपी एग्रो के अमले को छोड़कर शेष अमला राज्य आजीविका मिशन को सौंपा जाएगा। इन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पहले साल आजीविका मिशन और इसके बाद संयंत्रों के लाभांश से वेतन दिया जाएगा।

– प्लांटों के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति और सेवाशर्तों के निर्धारण का अधिकार मिशन को रहेगा। पंचायत विभाग का अमला मिशन को सौंपा जाएगा।

– प्लांटों की गतिविधियों में समूह की महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएंगे।

– प्लांटों के संचालन, प्रबंधन, पोषण आहार वितरण,दरों, रेसिपी, गुणवत्ता सहित अन्य विषयों में निर्णय लेने के लिए अंतरविभागीय समिति बनेगी। जिसमें अपर मुख्य सचिव पंचायत विभाग, प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी रहेंगे।

– एमपी एग्रो से वापस ली जाएगी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट। इसके पुनर्गठन के अधिकार मिशन को होंगे।

– प्लांट चलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग प्लांटों को तीन माह की राशि अग्रिम देगा। जिसका समायोजन अगले बिलों में किया जाएगा।

– प्लांटों के लिए कच्चा माल खरीदने के लिए राज्य आजीविका मिशन स्तर पर अलग से शाखा बनाई जाएगी।

– राज्य आजीविका मिशन पूर्व में दिए गए 60 करोड़ रुपये 30 सितंबर 2023 तक लौटाएगा। यह राशि प्लांटों में मशीनें स्थापित करने के लिए सरकार ने मिशन को वर्ष 2018 में दी थी।

Show More

Related Articles

Back to top button