इस बोल्ड एक्ट्रेस का देश के पहले राष्ट्रपति से है खास नाता

नई दिल्ली। बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद आज राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। यह पहला मौका नहीं है जब बिहार से जुड़ा कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बना है। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के थे। उनके परिवार में कोई डॉक्टर हैं तो कोई इंजीनियर। इन्हीं में से एक हैं श्रेया नारायण, जो बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की परपोती हैं।
इस बोल्ड एक्ट्रेस का देश के पहले राष्ट्रपति से है खास नाता

 बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जन्मी श्रेया नारायण को तिग्मांशु धुलिया की फिल्म ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ में महुआ के रोल से पहचान मिली थी। श्रेया लेखिका व समाज सेविका भी हैं। सोनी टीवी पर आने वाले शो ‘पावडर’ से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली श्रेया ने कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है, जिसमें एक दस्तक, नॉक आउट, तनु वेड्स मनु, सुपर नानी, रॉकस्टार और राजनीति जैसी फिल्में शामिल हैं। लेकिन, 2011 में आई तिगमांशु धूलिया की फिल्म ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ से श्रेया को फिल्‍मी जगत में एक नई पहचान बनी।


हाल ही में उन्होंने ‘सुपर नानी’ में दिमागी तौर पर बीमारी लड़की का किरदार निभाया था। इसी के साथ श्रेया ने कोसी नदी में आई बाढ़ के दौरान प्रकाश झा के साथ बिहार बाढ़ राहत मिशन में भी काम किया था।
आपको बता दें कि बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रेया की मां कैंसर से पीड़ित थीं, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। श्रेया ने थिएटर के सहारे ही अपने जीवन को एक नई दिशा और दशा दी। श्रेया का मानना है कि जब तक आप फिल्म इंडस्‍ट्री में कुछ बन नहीं जाते, तब तक आपका शोषण होता रहता है।गुलाबी शहर जयपुर में पली-बढ़ी देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की परपोती श्रेया नारायण बॉलीबुड की बोल्ड एक्ट्रेस हैं। श्रेया का कहना है कि कलाकार अलग-अलग तरह के किरदार निभाते हैं तो आपको ऐसा तरीका मिल जाता है, जिससे आप अपनी शख़्सियत को किसी फ़िल्मी किरदार में ढालकर उसे फ़िल्म ख़त्म होने के बाद छोड़ सकते हैं

वे आगे कहती हैं कि जब मैं अपनी मां से मिलने अस्पताल जाती थी तो मैं एक ज़िम्मेदार बेटी होती थी और जब मैं उन्हें छोड़कर शूटिंग पर जाती थी तो मैं बस वह किरदार बन जाती थी, जिसे मैं निभा रही होती थी। ऐसा करने से आप अपनी भावनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण रख पाते हैं।श्रेया ने एक इंटरव्यू में कहा था कि थिएटर ने उन्हें उनकी पहचान और खुशी दिलाई, क्योंकि वह बचपन में एक नाखुश बच्चे की जिंदगी जी रही थीं।
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