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Nikay Chunav Update: सुप्रीम कोर्ट की दो टूक : सभी राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव पांच साल के भीतर हों, परिसीमन के लिए इसे रोक नहीं सकते

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Nikay Chunav Update: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीटों पर 50 फीसदी ओबीसी आरक्षण प्रदान करने के लिए परिसीमन या अन्य अनिवार्य अभ्यास आयोजित करने में देरी के कारण स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं रोके जा सकते। सांविधानिक जनादेश के अनुसार प्रत्येक राज्य में चुनाव पांच वर्ष की अवधि की समाप्ति से पहले आयोजित किए जाने चाहिए।

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जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय इस ओका और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, सभी संबंधित अथॉरिटी यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं कि निवर्तमान निर्वाचित निकाय के पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति से पहले हर स्थानीय निकाय में नव निर्वाचित निकाय स्थापित किया जाए।

यहां तक कि पांच साल की अवधि की समाप्ति से पहले विघटन के मामले में जहां एक प्रशासक की आवश्यकता होती है, राज्य द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए और उस शासन को छह महीने से अधिक जारी नहीं रखा जा सकता है। यह सांविधानिक जनादेश उल्लंघन योग्य नहीं है।

मध्य प्रदेश को निकाय चुनाव कराने का निर्देश

मध्य प्रदेश को 23,263 स्थानीय निकायों में चुनाव कराने का निर्देश जारी करते हुए पीठ ने कहा, सांविधानिक जनादेश को बनाए रखने के लिए उसका आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आयोगों पर लागू होगा। राज्य को बिना किसी देरी के चुनाव कराना होगा।

ओबीसी को आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट शर्तों को पूरा करना होगा

पीठ ने कहा, परिसीमन या वार्ड के गठन की चल रही गतिविधि किसी भी अथॉरिटी के लिए चुनाव कार्यक्रम को उपयुक्त समय पर अधिसूचित नहीं करने का आधार नहीं हो सकती। पीठ ने के. कृष्ण मूर्ति (2010) मामले में संविधान पीठ के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ओबीसी के लिए आरक्षण प्रदान करने से पहले ट्रिपल टेस्ट शर्तों को पूरा करना होगा।

जब तक ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता पूरी नहीं हो जाती अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा सकता है और यदि वह अभ्यास राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम जारी करने से पहले पूरा नहीं किया जाता है तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर बाकी सीटों को सामान्य श्रेणी के लिए अधिसूचित किया जाना चाहिए।

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