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छात्रों को दिया गया बायोगैस संयंत्र एवं अजोला का निर्माण तथा उपयोग का प्रशिक्षण

कटनी। शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय कटनी में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्राचार्य डॉक्टर सुधीर खरे के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉक्टर व्ही के द्विवेदी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

 

प्रशिक्षण के क्रम में जीरो बजट फार्मिंग के अंतर्गत प्रकाश खाद एवं ईंधन प्रयोग के लिए बायोगैस संयंत्र निर्माण एवं कार्य प्रणाली का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। बायोगैस संयंत्र से ईंधन और अच्छी खाद प्राप्त होने के साथ साथ महिलाओं को खाना बनाने हेतु जंगल से लकड़ी एकत्र करने तथा गोबर के कंडे बनाने से मुक्ति मिलती है। रसोई घर में धुएं से छुटकारा तथा नेत्र एवं फेफड़े आदि के कई रोगों से बचाव भी किया जा सकता है।

 

दीनबंधु बायोगैस संयंत्र से प्रति घन मीटर 25 किलो गोबर एवं 25 लीटर पानी बराबर मात्रा में घोलकर डालते हैं इससे प्राप्त गैस ईंधन के लिए एवं खाद को फसलों में उपयोग करते हैं खाद में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं बायोगैस की खाद को सिंचित भूमि में 10 टन एवं असिंचित भूमि में 5 टन प्रति हेक्टर फसलों में उपयोग करने से 15 से 20% तक उत्पादन में वृद्धि होती है।

 

शासन द्वारा कृषकों को बायोगैस संयंत्र निर्माण के लिए नियमानुसार अनुदान दिया जाता है। अजोला में 25 से 30% प्रोटीन पाए जाने के कारण पशुओं में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा धान की फसल में उपयोग करने से नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने के कारण धान में एक तिहाई नाइट्रोजन वाली खाद की मात्रा कम लगने की जानकारी का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

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