अब पुरानी किताबों से पढ़ाकर पर्यावरण बचाएगी सरकार

अब पुरानी किताबों से पढ़ाकर पर्यावरण बचाएगी सरकार
भोपाल। प्रदेश में सरकारी और मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल से संबद्ध निजी स्कूलों के छात्र-छात्राएं अब पुरानी किताबों से पढ़ाई करेंगे। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के निर्देशों के बाद राज्य सरकार ये कदम उठाने जा रही है। सभी स्कूलों में बुक बैंक शुरू करने के आदेश अगले हफ्ते तक जारी हो जाएंगे।
इसके बाद स्कूलों में किताबों को सुरक्षित रखने की मुहिम शुरू होगी। सरकार ने इसके मापदंड भी तय कर दिए हैं और किताबों को सुरक्षित रखने का जिम्मा शिक्षकों को सौंपा है।
वहीं किताबें सुरक्षित रखने वाले छात्रों को पुरस्कृत करने की योजना भी है। छात्रों को किताबें देते समय स्कूल, छात्र और उसके अभिभावकों के बीच अनुबंध होगा कि वे परीक्षा के बाद किताबें सुरक्षित लौटाएंगे। इस पूरी कवायद का मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।
हर साल डेढ़ करोड़ का कारोबार
प्रदेश में हर साल डेढ़ हजार करोड़ का किताबों का कारोबार होता है। इनमें से करीब एक हजार करोड़ की किताबें स्कूलों के लिए छापी जाती हैं। जिन्हें छापने से पर्यावरण को नुकसान होता है।
वर्ष 2014 में एनजीटी में इस संबंध में एक याचिका लगाई गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को स्कूलों में बुक बैंक शुरू कर एक किताब को कम से कम दो साल चलाने के निर्देश्ा दिए थे।
सरकार को यह व्यवस्था बनाने में दो साल लग गए। स्कूल शिक्षा विभाग ने तय किया है कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 25 फीसदी किताबों को सुरक्षित रखने की कोशिश की जाएगी।
जबकि सत्र 2018-19 में 50 फीसदी किताबों को सुरक्षित किया जाएगा। विभाग के अफसर कहते हैं कि अगले तीन से चार साल में सौ फीसदी किताबों को सुरक्षित रखने में सफल हो जाएंगे।
18 हजार से ज्यादा पेड़ कटते हैं
प्रदेश में स्कूली किताबें छापने के लिए हर साल 18 हजार पेड़ काटे जाते हैं। यानि 90 एकड़ (36 हेक्टेयर) जंगल को नुकसान होता है। जबकि एक साल के बाद इनमें से 90 फीसदी किताबें रद्दी में बेच दी जाती हैं।
बुक बैंक बनाने से स्कूल शिक्षा विभाग को हर साल 6 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है। सरकार ने तय किया है कि अब हर साल उतनी ही किताबें छापी जाएंगी, जिनती खराब होंगी।
इसके लिए स्कूलों से फीडबैक लेकर डिमांड भेजी जाएगी। इसके आधार पर विभाग किताबों की छपाई कराएगा।
शिक्षकों की जिम्मेदारी
बुक बैंक योजना में शिक्षकों की भी जिम्मेदारी तय की गई है। वे किताबें बंटते ही उन पर जिल्द चढ़वाएंगे और छात्रों को समझाएंगे कि किताबों की छपाई से पर्यावरण को नुकसान होता है।
इसके लिए पेड़ काटे जाते हैं। वे छात्रों को किताब पर नाम या कमेंट्स लिखने से भी रोकेंगे।
शिक्षक एक रजिस्टर तैयार करेंगे, जिसमें छात्रों के नाम पर किताबों की इंट्री करेंगे और अभिभावकों से अनुबंध करेंगे। प्रदेश में पहली से 12वीं तक में सवा करोड़ से ज्यादा विद्यार्थी हैं।
छात्रों को करेंगे पुरस्कृत
सरकार ने छात्रों को किताबों के प्रति संजीदा बनाने के लिए पुरस्कार योजना शुरू करने का भी निर्णय लिया है। जिसके तहत सालभर व्यवस्थित और सुरक्षित किताबें रखने वाले स्कूल के तीन छात्रों को स्थानीय निधि से पुरस्कार दिया जाएगा।
छात्रों को परीक्षा परिणाम आने से पहले पुरानी किताबें लौटानी होंगी। जिन्हें स्टॉक रूम में सुरक्षित रखा जाएगा। नया सत्र शुरू होने पर ये किताबें दूसरे छात्रों को आवंटित होंगी। इस कारण तीन साल तक कोर्स बदलने पर भी रोक लग जाएगी।
सरकार की तैयारी पूरी
इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी हो जाएंगे। हमारी पूरी तैयारी है। दीप्ति गौड़ मुकर्जी, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा
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