148 साल बाद बन रहा है यह अद्भुत संयोग

 

10 जून को सूर्य ग्रहण के अलावा शनि जयंति भी है। तिथि काल गणना के अनुसार 148 साल बाद ऐसा मौका आया है, जब शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण भी लगेगा। चंद्रग्रहण की तरह साल का पहला सूर्यग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव और शनि के पिता हैं और दोनों में काफी मतभेद और अलगाव हैं।

 

भारत में मान्य नहीं होगा सूतक काल

भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। इस वजह से इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। ज्योतिष अनुसार उसी ग्रहण का सूतक काल मान्य होता है जो ग्रहण आपके यहां से दिखाई दे। भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा और इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

 

क्या है वलयाकार सूर्य ग्रहण

 

रिंग ऑफ फायर या वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य आग की एक अंगूठी की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा अपनी छाया से सूर्य के पूरे भाग को नहीं ढक पाता है और सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशित रहता है। हालांकि, ये नजारा कुछ ही समय का होता है। इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के सामने आकर उसका बीच का हिस्सा ढक लेता है। इस वजह से सूर्य का किनारे का हिस्सा आग की एक अंगूठी की तरह दिखता है।

 

क्यों लगता है सूर्य ग्रहण

 

सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र है और सभी ग्रह इसके चारों तरफ चक्कर काटते हैं। सूर्य का चक्कर काटने वाले ग्रहों के उपग्रह भी हैं। ये उपग्रह अपने ग्रहों के चक्कर काटते हैं। पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है। जब चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर काटते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।