Mukhtar Abbas Naqvi: क्या उपराष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे नकवी, जानें मोदी कैबिनेट से इस्तीफे बाद कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी?

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Mukhtar Abbas Naqvi: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। गुरुवार को उनकी राज्यसभा सदस्यता खत्म हो रही है। नियम के मुताबिक, वह बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए भी अगले छह माह तक मंत्री बने रह सकते थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अब नकवी के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। नकवी अब क्या करेंगे? क्या उन्हें कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी? आइए जानते हैं…

Mukhtar Abbas Naqvi: मुख्तार का अब आगे क्या होगा?

भाजपा में चार बड़े मुस्लिम नेता हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, सैय्यद शहनवाज हुसैन, एमजे अकबर, जफर इस्लाम शामिल हैं। शहनवाज इस वक्त बिहार सरकार में मंत्री हैं। मुख्तार अब्बास नकवी अब तक केंद्रीय मंत्री थे वहीं एमजे अकबर और जफर इस्लाम राज्यसभा के सांसद। मुख्तार अब्बास नकवी के साथ-साथ एमजे अकबर और जफर इस्लाम का भी राज्यसभा कार्यकाल पूरा हो गया है। तीनों को भाजपा ने दोबारा सदन में नहीं भेजा। एमजे अकबर और जफर इस्लाम की ज्यादा चर्चा नहीं है, लेकिन मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर कई तरह की कयासबाजी हो रही है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ही मुख्तार अब्बास नकवी की कैबिनेट बैठक में तारीफ की थी। आइए जानते हैं कि मुख्तार को अब कौन सी नई जिम्मेदारी दी जा सकती है?

 

Mukhtar Abbas Naqvi: 1. उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है

मुख्तार अब्बास नकवी का नाम राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों में आगे था, लेकिन अंतिम समय में द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लग गई। अब चर्चा है कि मुख्तार अब्बास नकवी को एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। छह अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। इसके ठीक पहले नकवी के इस्तीफे से इसकी संभावना ज्यादा बढ़ गई है।
कहा जा रहा है कि भाजपा इस पद पर उम्मीदवार के रूप में किसी पसमांदा मुस्लिम समाज के व्यक्ति को अवसर देने पर विचार कर रही थी, लेकिन संसदीय अनुभव वाले पसमांदा समुदाय के व्यक्ति के न मिलने पर मुख्तार अब्बास नकवी के नाम पर अंतिम सहमति बनी है। उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए खेमे से मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा नजमा हेपतुल्ला और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के नामों की भी चर्चा हो रही थी, लेकिन अंततः नकवी के नाम पर अंतिम सहमति बनती दिख रही है।

Mukhtar Abbas Naqvi: मुख्तार को उपराष्ट्रपति बनाकर क्या संदेश देने की कोशिश कर रही भाजपा?

हैदराबाद में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ‘स्नेह यात्रा’ निकालकर अल्पसंख्यकों का भरोसा जीतने की बात कही गई। पीएम मोदी भी सभी वर्गों को सामाजिक भागीदारी के अनुसार उन्हें प्रतिनिधित्व देने की बात करते रहे हैं। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में आगे लाकर मोदी सरकार ने जनजातीय समुदाय और महिलाओं को प्रनिधित्व देने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि इसी कड़ी में अल्पसंख्यक समुदाय को उपराष्ट्रपति के रूप में सामने लाकर वे एक नया संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं।

Mukhtar Abbas Naqvi: क्या ये मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश?

सीएसडीएस के एक पोस्ट पोल सर्वे में यह बात सामने आई थी कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में लगभग आठ प्रतिशत मुसलमान मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था। वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में लगभग सात प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था। प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक 2019 के आम चुनाव में लगभग 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने मोदी सरकार की सत्ता में वापसी के लिए वोट किया था। वहीं, सीएसडीएस के मुताबिक 2019 में लगभग 14 प्रतिशत मुसलमानों ने भाजपा को अपनी पहली पसंद बनाया था। हालांकि, 2014 के आम चुनाव में यह आंकड़ा काफी कम था। कहा जा रहा है कि मुसलमानों का भाजपा की तरफ बढ़ रहे रुझान को देखते हुए पार्टी मुस्लिम मतदाताओं में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।

Mukhtar Abbas Naqvi: उपराष्ट्रपति उम्मीदवार नहीं बने तो नकवी को क्या जिम्मेदारी मिलेगी?

1. संगठन में मिल सकती है जिम्मेदारी
इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव भी है। ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी को संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इससे पहले भी कई वरिष्ठ मंत्रियों को मोदी कैबिनेट से हटाकर संगठन में जिम्मेदारियां दी गई हैं। भाजपा के दिग्गज नेता रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर इसके बड़े उदाहरण हैं। ऐसे में संभव है कि संगठन में मुख्तार को बड़ी भूमिका में लाया जा सकता है।

2. किसी बड़े राज्य का राज्यपाल बनाए जा सकते हैं
मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर एक चर्चा ये भी है कि उन्हें किसी बड़े राज्य का नया राज्यपाल बनाया जा सकता है। अभी केरल के आरिफ मोहम्मद खान ही इकलौते मुस्लिम राज्यपाल हैं। संवैधानिक पद दिए जाने से भाजपा पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप भी कमजोर पड़ जाएंगे।

मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में हुआ था। नकवी के पिता का नाम एएच नकवी और मां शकीना बेगम हैं। मुख्तार ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है। उन्होंने आठ जून 1983 को सीमा से शादी की। अब दोनों का एक बेटा भी है।

कब शुरू हुआ राजनीतिक सफर
मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1975 से हुई थी। तब उन्होंने देश में लागू किए गए आपातकाल का विरोध किया था और इसके लिए जेल भी गए थे। छात्रनेता रहते हुए वह जनता पार्टी के कार्यक्रमों और आंदोलनों में शामिल होते थे। 1980 में उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इसके बाद अयोध्या से 1980 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा, लेकिन हार गए।

जब पहली बार चुनाव जीते
1998 में रामपुर से भारतीय जनता पार्टी ने मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए। तब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया था। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक राज्यमंत्री बनाया गया था, 2016 में कैबिनेट का दर्जा मिल गया। 2019 में फिर से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली तो मुख्तार अब्बास नकवी को फिर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया।

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