Katni Akshay Navami 2022: आंवला के वृक्ष की पूजा फिर किया भोजन, कटनी में उत्साह से मनाई गई अक्षय नवमीं

Katni आंवला के वृक्ष की पूजा फिर किया भोजन, कटनी में उत्साह से मनाई गई अक्षय नवमीं

Akshay Navami 2022 katni

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी पर आज बुधवार को अक्षय नवमी मनाया पर्व मनाया गया। आंवला नवमी के रूप में सनातनी समाज में प्रचलित कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी पर श्रद्धालु जनों ने पूजा-अर्चना की।

पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति का व्रत अक्षय नवमी पर सुबह में स्नान-ध्यान के बाद भक्त भगवान कृष्ण की पूजा की पूजा अर्चना को आंवला वृक्ष के नीचे विशेष पूजा के रूप में किया। सुहागिनें ने परम सौभाग्य, संतान व ऐश्वर्य की कामना की साथ ही घर मे सभी निरोगी काया के लिए अक्षय आशीर्वाद मांगा।

पूजा के बाद आंवला वृक्ष की छांव में भोजन करने की परंपरा का निर्वहन किया गया। शहर के कुछ खास स्थानों जैसे गायत्रीनगर, सत्यनारायण मंदिर, वेंकट वार्ड हवलदारिन का बाड़ा, छपरवाह रबर फेक्ट्री बगीचा सहित अन्य स्थानों पर लगे आंवला के व्रक्ष के आसपास मेला जैसा माहौल था।

महिलाओं विशेष तौर पर युवाओं तथा बच्चों ने हर साल की तरह इस साल भी इस पर्व का खूब आनंद लिया। मान्यता है कि इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे भोजन करने से वह अमृत का फल   देता है। जरूरतमंद को भोजन कराया जाएगा व सामर्थ्य के मुताबिक उन्हें दान आदि देकर विदा किया जाए तो भी अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

अक्षय फल की प्राप्ति

पद्म पुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षय नवमी कहते हैं। उस दिन आंवले के वृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य दे। तत्पश्‍चात ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दें और स्वयं भोजन करें। इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और हवन करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है। स्‍वयं ब्रह्माजी ने यह बताया है।

कार्तिक शुक्ल नवमी को दिया हुआ दान अक्षय होता है अतः इसको अक्षयनवमी कहते हैं। प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है।

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