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जैन समाज ने मनाया 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव

कटनी। जैन समाज के 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ जी का निर्वाण महोत्सव आचार्य ज्ञानसागर सभागार में बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति-भाव के साथ नगर में विराजमान प.पू.आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि 108 समता सागर जी महाराज,मुनिश्री 108 महासागर जी महाराज मुनि श्री 108 निष्कंप सागर जी महाराज,ऐलक श्री 105 निश्चिय सागर जी महाराज के परम सानिध्य में मनाया गया।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में श्रावक श्रेष्ठी स.सि. उत्तमचंद, अनुराग कुमार अनुज जैन एवं आलोक जैन के द्वारा श्री जी की शांतिधारा एवं अन्य श्रावकों द्वारा महामस्तकाभिषेक किया गया, इसके पश्चात् 2800 किलो शक्कर से बने निर्वाण लाडू का अनावरण समाजसेवी स.सि.प्रसन्न कुमार, स.सि.सुधीर कुमार,के द्वारा किया गया।

निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य पूर्व विधायक सुर्कीति जैन, संचित जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर बाहर से आये श्रेष्ठीजनों का सम्मान पंचायत महासभा के अध्यक्ष संजय जैन एवं चतुर्मास धर्मप्रभावना समिति के संयोजक समाजसेवी अनुराग जैन के साथ समितियों के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। महोत्सव में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने 1100 दीप जलाकर भक्ति भाव से निर्वाण लाडू एवं पूजन कर पुण्य प्राप्त किया।

निर्वाण लाडू को सुन्दर रूप प्रदान करने में समाजसेवी गोल्डी जैन श्रीमती मेघा जैन (शहनाई गार्डन) की विशेष भूमिका रही एवं लाडू को सजाने में विजय विश्व परिवार का सहयोग रहा। इस अवसर पर मुनि श्री निष्कंप सागर जी महाराज ने धर्मसभा को बतलाया कि आज के दिन भगवान पार्श्वनाथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। मुनि श्रीजी ने आगे कहा कि पुण्यात्मा का धन, धर्म के कार्यो में लगने से उसे इस भव में तो पुण्य की प्राप्ति होने के साथ अगले भव में भी इसका पुण्य मिलता है।

मुनिश्री महासागर जी महाराज ने कहा कि आप रोटी कपड़ा के अलावा अपनी आत्मा के निर्वाण के बारे में सोचे, आप अपने सदगुण स्थान को बढ़ाये, वृत्ति बनकर न रहेे। बल्कि महाप्रती बनने का प्रयास करें तभी आपको अपना लक्ष्य प्राप्त होगा। रत्नात्रय की अराधना करें उन्होने ने आगे कहां कि अपनी प्रवृत्ति को निवृत्ति की ओर ले जाये तभी आपका कल्याण संभव है।

मुनिश्री समता सागर जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा जैन परंपरा के 23 वे तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ को सम्मेद शिखर में निर्वाण प्राप्त हुआ था , उन्होने आगे कहा कि तुम्हारे पास 2 पैसे है तो 1 पैसे में रोटी और दूसरे पैसे में फूल खरीदना रोटी तुम्हारे लिये जिंदगी देगी और फूल जिन्दगी जीने का तरीका सिखाएगा।भगवान पार्श्वनाथ ने अनेक भवों तक समतापूर्वक उपर्सगों को सहने के बाद आज के दिन निर्वाण को प्राप्त किया था।

मुनि समता सागर महाराज के भक्त मंडली द्वारा मिष्ठान वितरण किया गया, कार्यक्रम का संचालन ब्रम्हचारी नरेश भैया द्वारा किया गया। कार्यक्रम में समस्त कटनी जैन समाज के नागरिकों व बाहर से आए गुरू भक्तो की उपस्थिति रही ।

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