कटनी। उपनगरीय क्षेत्र न्यू कटनी जंक्शन के व्यासपीठ श्रीहित प्रवीणकृष्ण दासजी ब्रजरजोउपासक के सानिध्य में लगातार नव दिनों तक चले शिवपुराण कथा में यजमान के रूप में सम्मलित हुए, उनके सैकड़ों अनुयायिओं ने गुरदेव महराज के मुखार बिंदु से बाराणसी स्थित मां गंगा तट पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठान का जमकर लुफ्त उठाये. लगातार नव दिवस तक चली कथा केअमृतमयी बयार में गुरदेव महराज ने बताये कि, शिवपुराण की कथा मनुष्यों के जन्म जन्मांतर के किये गये समस्त पापों से मुक्ति दिलाने के साथ ही साथ, प्राणी मात्र को जन्म- मृत्यु के बंधन से मुक्त करने की अचूक औषधि का कार्य करती है.लगातार नव दिनों तक हुई अमृतमयी कथा में अनेकों अनेक शास्त्र सम्मत धार्मिकता से ओत प्रोत रोचक बातों का ज्ञान गुरदेव महराज द्वारा अपने भक्तो के सामने बारी बारी से परोसी गयीं।
कथा में यजमान की भूमिका में सरीक हुए, धर्मावलंबीयों में से एक यजमान सेवा निवृत शिक्षक कुंवर मार्तण्ड सिंह राजपूत और उनकी धर्मपत्नी विद्यावती ने बताया कि गुरदेव के मुखार बिंदु से सुनाई गयी अमृतमयी कथा अत्यंत रोचक, ज्ञानवर्धक और पापविनासनी के रूप में लोगों के सामने आयी. गुरदेव द्वारा शिवपुराण की कथा बड़े ही मार्मिक ढंग से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर एक मनमोहक और ह्रदयस्पर्शी वाता वरण निर्मित किया गया था। पाप विनासनी माँ गंगा के तट पर आयोजित शिव पुराण कथाकी में गुरदेव महराज द्वारा कथा के अंतिम दिवस पर, भक्तों के द्वारा मां गंगा की पावन मिट्टी से भगवान शिवजी के पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करवा कर,उनका विधिवत पूजा अर्चना के साथ विसर्जन का कार्य सुव्यवस्थित रूप से गया. कार्यक्रम की समाप्ति के बाद गंगा तट पर विशाल भंडारा और हवन पूजन में सम्मिलित होकर ऊर्जा से भरे अपने अपने निज निवास लौटे यजमानों ने, बाराणसी में लगातार नव दिन तक पूरे भक्तिभाव में गुजरे, एक एक पल की यादें दिल में सजाकर उस धार्मिक मांगलकारी आनंद का अनुभव कर अभी भी पल पल में भावविभोर हो जाते हैं। भक्त गणों ने कथा समापन पर गुरुदेव का शुभाशीष प्राप्त कर एक नयी सुहानी सुबह का सुखद अनुभव कर रहे हैं।बाराणसी में कथा के आयोजक मंडल के सदस्यों द्वारा भक्तों के हितार्थ उपलब्ध कराई गयी समस्त पूजन सामग्री सहित उनके रहने, ठहरने और भोजन की माकूल व्यवस्था पर सभी यजमानों द्वारा भरपूर संतोष जाहिर किया गया.विधि विधान से पूजा अर्चना कराने में विद्वान आचार्यो में पं. सौरभ उपाध्याय,पं.राजवीर गौतम, पं. सत्यम दुबे, पं.आकाश उपाध्याय, और पं. कुलदीप मिश्र का योगदान सराहनीय रहा। संगीत को सजाने संवारने में सौरभ तिवारी, हर्ष तिवारी और जसीराम प्रजापति की भूमिका गागर में सागर भरने का काम की।