implantantika alanantalya habersakarya evden eve nakliyatizmir escortimplantantika alanantalya habersakarya evden eve nakliyatizmir escort
शहर

85 वर्षीय बुजुर्ग ने पिछले 30 साल से नहीं पहने जूते-चप्पल

 दमोह। जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के प्रति आस्था रखने वाले केवल जैन धर्म के लोग नहीं वरन अन्य जाति-धर्म के लोग भी उनमें अटूट आस्था रखते हैं। दमोह के एक बुजुर्ग के त्याग को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, उन्होंने 30 साल पहले आचार्यश्री के तप को देखकर खुद से वचन लिया और आजीवन जूते-चप्पल का त्याग कर दिया। इतने सालों बाद भी वे नंगे पैर पैदल घूमते हैं।
हम बात कर रहे हैं शहर के फुटेरा वार्ड एक निवासी हीरालाल(85) पिता पंचम यादव की। 30 साल पहले माघ की पूर्णिमा की सुबह आचार्यश्री ने दमोह के बड़े जैन मंदिर से कुंडलपुर की ओर विहार किया। श्री यादव भी उनके विहार की विदाई में कुछ दूरी तक जाने के लिए शामिल हो गए, लेकिन उन्हें आभास ही नहीं हुआ और वे उनके साथ कुंडलपुर तक पैदल पहुंच गए। वहां से बस में दो रुपए किराया देकर वापस घर पहुंचे, लेकिन उसके बाद उन्होंने स्वप्रेरणा से ही संकल्प लिया कि अब से जीवनभर जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे और आज भी उस वचन को निभा रहे हैं।
पूछा, पैर में जूते क्यों नहीं तो खुला आस्था का राज
सोमवार दोपहर श्री यादव अस्पताल चौराहे से होकर घंटा घऱ् जा रहे थे। हल्की बारिश हो रही थी। वे पास से निकले तो पूछा कि जूते क्यों नहीं पहने। उन्होंने कहा कि ये आचार्यश्री के लिए मेरा त्याग है। विस्तार से चर्चा में श्री यादव ने बताया कि करीब 30 साल पहले वे उनके साथ कुंडलपुर तक पैदल गए थे। वहां उसके पास बैठने का अवसर मिला, उन्होंने हाथ रखकर आशीर्वाद भी दिया।
वापस बस में बैठकर दमोह पहुंचे और रास्ते में सोचते रहे कि आचार्यश्री पूरे देश में नंगे पैर पैदल चलते हैं, चंद निवाले का भोजन करते हैं, बदन पर कोई कपड़ा नहीं, जबकि ठंड, बारिश और गर्मी का मौसम आता है। ये सब सोचने के बाद उन्होंने घर आकर तय किया कि अब वे आचार्यश्री के प्रति अपनी आस्था इस तरह प्रकट करेंगे और उन्होंने जीवन में कभी भी जूते-चप्पल न पहनने का वचन ले लिया।
गाय चराकर पाला पेट, तीन बेटे भी हैं
श्री यादव ने बताया कि वे उस समय चरवाहे का काम करते थे। शहर के कुछ प्रमख लोगों के मवेशी चराकर अपना परिवार पालते थे। उस समय मवेशी चराने व दूध दुहने के दो-दो रुपए मिलते थे। उनके तीन बेटे भगवानदास, गेंदालाल और लखन। वे समनापुर गांव में मवेशी चराने का काम करते हैं, क्योंकि शहर में अब कम ही लोगों के पास मवेशी हैं।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
implantantika alanantalya habersakarya evden eve nakliyatizmir escortimplantantika alanantalya habersakarya evden eve nakliyatizmir escort