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राष्ट्रीय

तुअर का आयात बंद, बढ़ सकती है दाल की कीमत

इंदौर। दाल मिल संचालकों की मांग के बाद दिल्ली से तुअर के आयात पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश का सीधा असर गृहिणियों के किचन के बजट और किसान की जेब पर पड़ेगा। बाजार में दाल की कीमत बढ़ना तय माना जा रहा है। त्यौहारी मौसम में दाल की महंगाई आम आदमी को परेशान कर सकती है लेकिन किसानों को इससे लाभ की उम्मीद है।
बीते वर्षों में दाल की कीमतों में चौंकाने वाली तेजी नजर आई थी। तुअर दाल दो सौ रुपए प्रति किलो के जादुई आंकड़े तक पहुंच गई थी। दाल की कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार को ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। छापे से लेकर निर्यात प्रतिबंध का इस इस साल नजर आने लगा। थोक बाजार में तुअर दाल के दाम 50 रुपए किलो के जबकी खेरची में 60 रुपए के करीब ही सीमित रहे। कम कीमतों से उपभोक्ता तो खुश हैं लेकिन दाल मिल वाले और किसान दोनों परेशान हो गए थे।
मंत्री तक पहुंचे मिलर्स
दाल की कीमतें गिरने के बाद से मिल संचालकों का प्रतिनिधि मंडल लगातार दिल्ली-भोपाल के चक्कर लगा रहा था। इंदौर के मिल संचालक प्रदेश और देश के दाल मिलों की अगुवाई कर रहे हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के जरिए बीते दिनों में कई बार केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर मिल संचालकों ने दलहन के आयात पर प्रतिबंध व दालों का निर्यात शुरू करने की मांग की थी।
किसान घाटे में
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के मुताबिक देश में दालों की कुल खपत करीब 240 लाख टन होती है। बीते साल 210 लाख टन तुअर देश में पैदा हुई थी जूकी 57 लाख टन दूसरे देशों से आयात की गई थी। तुअर का आयात मुख्य तौर पर बर्मा, रुस और मोजाम्बिक व अन्य अफ्रीकी देशों से होता है।
बीते वर्षों में बाजार में दाल की कीमत अच्छी मिली थी लिहाजा किसानों ने तुअर बोने में रुचि ली नतीजा इस बारे में देश में ही दलहन की पैदावार अच्छी खासी होने की उम्मीद है। अब तक आयात शुरू था इसी का नतीजा था कि दाल की कीमत ही न्यूनतम स्तर पर बनी थी।
सरकार ने तुअर का समर्थन मूल्य 5,250 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इस पर राज्य सरकार को दो सौ रुपए प्रति क्विंटल बोनस देना है। यानी 5,450 के सरकारी मूल्य से ज्यादा पर बाजार में तुअर बिकना चाहिए। हालांकि इसके उलट मुश्किल से 4 हजार रुपए क्विंटल में किसानों से बाजार में तुअर खरीदी जा रही है। नतीजा किसानों का लागत मूल्य भी वसूल नहीं हो रहा।
महंगाई से इनका फायदा
आयात बंद करने से विदेशी दलहन की देश में एंट्री रुकेगी। नतीजा बाजार में दाल की कीमतों में तेजी आएगी। दाल की कीमत बढ़ने से किसान को दलहन की भी ज्यादा कीमत मिलेगी। कम कीमत से घबराकर कई मिलों ने उत्पादन भी रोक रखा था। मिलें भी फिर शुरू हो सकती हैं। इससे बेकार हुए मजदूरों को काम मिलेगा। हालांकि एक बार कीमतें बढ़ी तो फिर इस पर नियंत्रण सरकार के लिए भी मुश्किल होगा।
निर्यात भी खोले
दो दिन से बाजार बंद है इसके बावजूद दाल की कीमत में दो रुपए की तेजा आई है। कीमत बढ़ेगी तो सीधा फायदा किसान को होगा। अब सरकार को निर्यात से प्रतिबंध भी हटाना चाहिए। इससे बंद हो चुकी मिलें शुरू हो सकेगी। सुरेश अग्रवाल, अध्यक्ष ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन

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