yalova evden eve nakliyatAntalya haberHair Transplant Istanbulimplant
ज्योतिषधर्म

दो दिनों का असमंजस, 14 को या 15 अगस्त को मनाएं जन्माष्टमी

धर्म डेस्क। हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। इस वर्ष 14 अगस्त को शाम 7.45 बजे अष्टमी तिथि शुरू होगी और 15 अगस्त को शाम 5.39 तक रहेगी। इसलिए दोनों ही दिन जन्माष्टमी त्योहार मनाया जा सकता है। हिंदू धर्म में उदयातिथि की मान्यता होती है इसलिए जन्माष्टमी का त्योहार 15 अगस्त को मनाना शास्त्र सम्मत है। स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय की अलग मान्यता है।

श्रीमद् भागवद को प्रमाण मानकर स्मार्त संप्रदाय को मानने वाले चंद्रोदय व्यापनी अष्टमी अर्थात रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाते हैं तथा वैष्णव संप्रदाय के लोग उदयकाल व्यापनी अष्टमी एवं उदयकाल रोहिणी नक्षत्र को जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं। सप्तमी तिथि के दिन व्रती पुरुष को हविष्यान्ना भोजन करके संयमपूर्वक रहना चाहिए। सप्तमी की रात्रि व्यतीत होने पर अरुणोदय बेला में उठकर व्रती को स्नान पश्चात यह संकल्प लेना चाहिए कि मैं श्रीकृष्ण प्रीति के लिए व्रत करूंगा। जन्माष्टमी के एक दिन पूर्व केवल एक ही समय भोजन करना चाहिए।
व्रत वाले दिन पूरे दिन उपवास रखकर अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि समाप्त होने के पश्चात व्रत पारण का संकल्प लेना चाहिए। एकादशी उपवास के दौरान पालन किए जाने वाले सभी नियम जन्माष्टमी उपवास के दौरान भी पालन किए जाने चाहिए। अत: जन्माष्टमी व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का अन्ना ग्रहण नहीं करना चाहिए। हिंदू धर्म में व्रत हमारे आत्मसंयम को ही लक्षित किए गए हैं। हिंदू ग्रंथ धर्मसिंधु के अनुसार जोश्रद्धालु लगातार दो दिनों तक उपवास करने में समर्थ नहीं हैं वे जन्माष्टमी के अगले दिन ही सूर्योदय के पश्चात व्रत तोड़ सकते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हमें भगवान कृष्ण के जीवन से धैर्य और विपरीत परिस्थितियों में सहज होने का गुण सीखना चाहिए।
साथ ही हमें यह भी सीखना चाहिए कि धर्म के मार्ग से कभी भी हम डिगे नहीं। सत्य कहने का साहस हमेशा हमारे भीतर हो। इसके अलावा अपना वचन हर हाल में निभाने का गुण भी हमें श्रीकृष्ण से सीखने को मिलता है। भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाओं के जरिए हमें जीवन जीने के आदर्श रूप की झांकी बताई है ताकि हम उलझन के समय मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनका जीवन अनेक लीलाओं से भरा है। एक राजा और मित्र के रूप में अगर वह दुखहर्ता बन जाते हैं तो युद्ध में उनकी नीतियां सत्य को विजयी बनाती हैं।
वह संशयों से उबारने वाले और चिंताओं से मुक्त करने वाले देव हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर दान-पुण्य भी करना चाहिए ताकि आपका सौभाग्य बढ़े। दूसरों के दुखों को दूर करने वाले श्रीकृष्ण को वे भक्त प्रिय होते हैं जो दूसरों की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं। कहा गया है कि एकादशी का व्रत हजारों-लाखों अपराधों से हमें क्षमा दिलवाता है और जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशियों के बराबर है। यही कारण है कि एकादशी और जन्माष्टमी पर हमें खुद को साधना चाहिए और ईश भक्ति करना पचाहिए। विषयों और वासनाओं पर नियंत्रण भी इस त्योहार का मर्म है।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
yalova evden eve nakliyatAntalya haberHair Transplant Istanbulimplant