yalova evden eve nakliyatAntalya haberHair Transplant Istanbulimplant
HOME

कानून बनने तक असंवैधानिक रहेगा ट्रिपल तलाक-SC

नई दिल्ली। मुसलमानों में प्रचलित एक बार में तीन तलाक की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के पांच न्यायाधीश बारी-बारी से अपना फैसला पढ़ा। पांच में से तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है।
मंगलवार को सबसे पहले न्यायाधीश जेएस खेहर ने अपना फैसला पढ़ा। उन्होंने अपहोल्ड (Uphold) शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक पर संसद को फैसला करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार को आदेश देती है कि वह छह माह में तीन तलाक पर कानून बनाए। इस दौरान यानी इन छह माह की अवधि में तीन तलाक पर रोक रहेगी।’
इसके बाद अपना फैसला पढ़ते हुए तीन अन्य जजों न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। इससे पहले चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहीं भी असंवैधानिक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था।
पांचवें जज न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर अभी अपना फैसला पढ़ेंगे। इस तरह पांच में से तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया है। इस बीच मुस्लिम पर्सनल लॉ ने बैठक बुलाई है।
क्या है इस फैसले के मायने
– ट्रि्पल तलाक पर अब गेंद पूरी तरह से केंद्र सरकार और संसद के पाले में है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने न तो तीन तलाक पर गलत ठहराया है ना ही सही।
– हालांकि छह महीने तक मुस्लिम पुरुषों के लिए एक झटके में तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोलकर शादी को खत्म करने का विकल्प नहीं रहेगा।
– इस दौरान कोर्ट में पहुंचने वाले ट्रिपल तलाक के मामले स्वतः खारिज हो जाएगा।
एक नजर मामले से जुड़ी बड़ी बातों
– इस पीठ की खासियत यह भी है कि इसमें पांच विभिन्न धर्मों के अनुयायी शामिल हैं। हालांकि यह बात मायने नहीं रखती क्योंकि न्यायाधीश का कोई धर्म नहीं होता।
– कोर्ट ने शुरुआत में ही साफ कर दिया था कि वह फिलहाल एक बार में तीन तलाक पर ही विचार करेगा। बहुविवाह और निकाह हलाला पर बाद में विचार किया जाएगा।
– इस पर सुनवाई तो कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर शुरू की थी लेकिन बाद में छह अन्य याचिकाएं भी दाखिल हुईं जिसमें से पांच में तीन तलाक को रद करने की मांग है।
– मामले में तीन तलाक का विरोध कर रहे महिला संगठनों और पीड़िताओं के अलावा इस पर सुनवाई का विरोध कर रहे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत ए उलेमा ए हिंद की ओर से दलीलें रखी गईं। केंद्र सरकार ने भी इसे महिलाओं के साथ भेदभाव बताते हुए रद करने की मांग की है।
– सुनवाई के दौरान पीठ ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा था कि क्या शादी के वक्त ही मॉडल निकाहनामे में महिला को तीन तलाक न स्वीकारने का विकल्प दिया जा सकता है। बोर्ड ने कोर्ट को बताया था कि निकाह के समय न सिर्फ लड़की को तीन तलाक को न कहने के विकल्प की जानकारी दी जाएगी बल्कि मॉडल निकाहनामा में इसे एक विकल्प के तौर पर भी शामिल किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
1. तीन तलाक महिलाओं के साथ भेदभाव है। इसे खत्म किया जाए।
2. महिलाओं को तलाक लेने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है जबकि पुरुषों को मनमाना हक दिया गया है।
3. कुरान में तीन तलाक का जिक्र नहीं है।
4. यह गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत की दलीलें
1. तीन तलाक अवांछित है लेकिन वैध।
2. यह पर्सनल लॉ का हिस्सा है। कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता।
3. 1400 साल से चल रही प्रथा है। यह आस्था का विषय है, संवैधानिक नैतिकता और बराबरी का सिद्धांत इस पर लागू नहीं होगा।
4. पर्सनल लॉ में इसे मान्यता दी गई है। तलाक के बाद उस पत्नी के साथ रहना पाप है। धर्मनिरपेक्ष अदालत इस पाप के लिए मजबूर नहीं कर सकती।
5. पर्सनल लॉ को मौलिक अधिकारों की कसौटी पर नहीं परखा जा सकता।
केंद्र सरकार की दलीलें
1. तीन तलाक महिलाओं को संविधान में मिले बराबरी और गरिमा से जीवन जीने के हक का हनन है।
2. यह धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है, इसलिए इसे धार्मिक आजादी के मौलिक अधिकार में संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
3. पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित 22 मुस्लिम देश इसे खत्म कर चुके हैं।
4. धार्मिक आजादी का अधिकार बराबरी और सम्मान से जीवन जीने के अधिकार के अधीन है।
5. सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों का संरक्षक है। कोर्ट को विशाखा की तरह फैसला देकर इसे खत्म करना चाहिए।
6. अगर कोर्ट ने हर तरह का तलाक खत्म कर दिया तो सरकार नया कानून लाएगी।
कोर्ट की टिप्पणियां
1. जो चीज ईश्वर की नजर में पाप है वह इंसान द्वारा बनाए कानून में वैध कैसे हो सकती है।
2. क्या तीन तलाक इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है।
3. क्या निकाहनामे में महिला को तीन तलाक को न कहने का हक दिया जा सकता है।
4. अगर हर तरह का तलाक खत्म कर दिया जाएगा तो पुरुषों के पास क्या विकल्प होगा।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
yalova evden eve nakliyatAntalya haberHair Transplant Istanbulimplant