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पाकिस्तान की जेल से 16 साल बाद लौटा निर्दोष 34 वर्षीय ग्राम बघवार कला का युवक

पाकिस्तान की जेल से 16 साल बाद लौटा निर्दोष 34 वर्षीय ग्राम बघवार कला का युवक अब रोजगार की तलाश में

  • काम की तलाश में वर्ष 2005 में ग्राम बघवार कला से राजकोट गया था युवक
  • 16 साल तक रहा पाकिस्तान के कराची जेल में जूनागढ़ वाले महाराज ने पाकिस्तान की जेल से रिहा कराने में की मदद।

पन्ना। आखिर एक 17 वर्षीय नवयुवक कैसे पहुंचा पाकिस्तान तो आइए सुनते हैं मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की सबसे पिछड़ी तहसील रेपुरा के ग्राम पंचायत बघवार कला की जहां से एक 17 वर्षीय युवक वर्ष 2005 में काम की तलाश के लिए अपने ग्राम बघवार कला से राजकोट के लिए गया जहां पर उसको काम ना मिलने के कारण वहां अपने एक सतना निवासी साथी के साथ जूनागढ़ गुजरात पहुंच गया जहां उसे किसी तरह पानी की वोट जो की मछली पकड़ने के काम में लाई जाती थी में काम करने के लिए कहा गया और पापी पेट की खातिर वोट पर खाना बनाने का काम करने लगा।

जहां कई दिनों तक जूनागढ़ के पुरोहित गौरी शंकर महाराज की वोट में काम करता रहा फिर एक दिन वोट अचानक समुद्र में दूर रास्ता भटक जाने के कारण वोट पाकिस्तान की सीमा में पहुंच गया जहां पाकिस्तानियों ने वोट को अपने कब्जे में ले लिया वही वोट में अन्य लोगों के साथ बघवार कला निवासी लल्लू लोधी पिता घसोटी लोधी को वर्ष 2005 में पाकिस्तानी पुलिस के हवाले कर कराची जेल में निर्दोष डाल दिया गया।

वही इस विषय की जानकारी वोट मालिक गौरीशंकर को कई वर्षों बीत जाने के बाद लगी जिसके बाद कई वर्षों तक लल्लू लोधी के दस्तावेज तैयार करवाने लल्लू लोधी को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार कर बड़ी मशक्कत के बाद वर्ष 2021 को 15 अगस्त के दिन रिहा कर दिया गया वहीं पाकिस्तान की जेल में 16 वर्ष तक लल्लू लोधी को निर्दोष होते हुए कितनी यातनाएं, कितनी पीड़ा ,कितनी परेशानी झेलनी पड़ी शायद इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

वही 1 दिन राजकोट के एक मंदिर में भगवान की पूजा पाठ कर रहे बघवार कला निवासी रमेश बड़गैया पिता पूजाराम बड़गैया जी को लल्लू लोधी ने पहचान लिया और लल्लू लोधी ने रमेश बड़गैया जी को पूरा घटनाक्रम बताया जिसके बाद रमेश बड़गैया ने 1 अक्टूबर 2021 पिछले हफ्ते मोबाइल के माध्यम से लल्लू लोधी के परिजनों से वीडियो कॉल पर बात करवाई गई वही आज दिनांक 9 अक्टूबर को संदीप लोधी जो कि हरियाणा में काम करते हैं जो लल्लू लोधी के परिचित हैं, के माध्यम से ग्राम बघवार तक लल्लू लोधी को पहुंचाया गया।

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