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दूसरी शादी के बावजूद विधवा पत्‍नी उत्‍तराधिकार लाभ की हकदार

दूसरी शादी के बावजूद विधवा पत्‍नी उत्‍तराधिकार लाभ की हकदार

गुजरात की एक अदालत ने जवान की विधवा पत्‍नी को पुन: विवाह के बावजूद जवान की उत्‍तराधिकारी मानते हुए पति की मौत के बाद मिलने वाले लाभ मां व पत्‍नी को बराबर रूप से देने का निर्णय किया है। मृतक जवान के माता-पिता ने पुत्र की मौत के बाद इस पर दावा जताया था। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ के जवान राजेश पलाशपगर का दिसंबर 2003 में एक सड़क दुर्घटना के कारण निधन हो गया था। सीआईएसएफ में 12 साल नौकरी करने के कारण उसके निधन के बाद 2 लाख रु से अधिक की नकदी उसके उत्‍तराधिकारी को मिलनी थी।

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विभाग ने उनके परिवार को संपर्क किया लेकिन परिवार ने कोई जवाब नहीं दिया, बाद में वर्ष 2011 में जवान के पिता शेषराव एवं माता विमलाबाई ने जवान के निधन के बाद मिलने वाले लाभ पर दावा जताया तथा जब पत्‍नी वर्षा ने भी इस पर दावा जताया तो परिवार का कहना था कि उसने सितंबर 2007 में दूसरा विवाह कर लिया है, इसलिए अब वह कानूनी रूप से इसकी हकदार नहीं है।

सिटी सिविल जज बीना चौहान ने मां व पत्‍नी को बराबर की उत्‍तराधिकारी मानते हुए जवान की मौत के बाद मिलने वाले लाभ इन दोनों में बराबर बांटने का निर्णय किया। जज ने कहा कि हिंदू उत्‍राधिकारी कानून 1956 की धारा 8 के अनुसार मां व पत्‍नी दोनों इसकी हकदार हैं।

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