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ज्योतिष उपाय : बिना कुंडली देखे, जानें आप मांगलिक तो नहीं, ऐसे दूर करें मांगलिक दोष

मंगल ग्रह सौर मंडल का सबसे लाल ग्रह माना जाता है। इसकी दूरी पृथ्वी से काफी है फिर भी इसका असर हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। मंगल ग्रह का ज्योतिष में काफी महत्व है। इन्हें ऊर्जा और पराक्रम का कारक माना जाता है। ज्योतिष मंगल को एक क्रूर ग्रह के रूप में मानता है।

भारतीय ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह मेष राशि एवं वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। सूर्य, चंद्र एवं बृहस्पति इसके मित्र ग्रह कहलाते हैं एवं बुध इसका विरोधी ग्रह कहलाता है। शुक्र एवं शनि सामान्य रहते हैं। मंगल तीन चंद्र नक्षत्रों का भी स्वामी है- मृगशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र एवं धनिष्ठा नक्षत्र। आइए आपको बताते हैं ज्‍योतिष में मंगल ग्रह से संबंधित वस्‍तुएं और उपाय।

मंगल से संबंधित कुछ प्रमुख वस्तुएं
रक्त, मूंगा, लाल मसूर, नीम का पेड़ आदि

मंगल का तत्व
इसका तत्त्व अग्नि होता है ।

मंगल की दिशा
पूर्व-दक्षिण दिशा का संबंध मंगल ग्रह से है।

मंगल ग्रह की ऋतु
मंगल ग्रह की ऋतु ग्रीष्म काल है।

मांगलिक दोष क्या हैं

ज्योतिष और पंडित को अक्सर यह कहते हुए सुना जाता है कि कुंडली में मांगलिक दोष है लेकिन आखिर ये मांगलिक दोष है क्या? यदि किसी जातक के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में यदि मंगल स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष होता है।

मंगल दोष के प्रभाव

  • अगर जातक के लग्न भाव में सूर्य है तो उसका स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी हो जाता है।
  • चतुर्थ भाव में मंगल होने से सुखों में कमी आती है और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • सप्तम भाव में अगर मंगल विराजमान हो तो वैवाहिक संबंधों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • मंगल का अष्टम भाव में होना विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी लाता है साथ ही ससुरालपक्ष से रिश्‍तों में खटास आती है।
  • वहीं द्वादश भाव में मंगल बैठा हो तो वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, रोग, 

मंगल ग्रह और वैवाहिक जीवन

मांगलिक जातकों के विवाह संबंध हमेशा प्रभावित रहते हैं। मंगल दोष के कारण दोनों के बीच अनबन से लेकर झगड़ा तक रहता है। ऐसे में मंगल ग्रह का एकांत पसंद स्‍वभाव भी दोनों के बीच आड़े आता है। मंगल ग्रह को अकेलापन पसंद है अन्‍य किसी ग्रह के निकट आने पर मंगल ग्रह उससे झगड़ लेता है।

कुछ प्रमुख परेशनियां

  • विवाह में देरी, विवाह तय होने के बाद टूट जाना।
  • विवाह होते-होते बाधाएं आना।
  • शादी के बाद जीवनसाथी के साथ किसी ना किसी वजह से अनबन रहना।
  • वैवाहिक जीवन में अत्यधिक संघर्ष रहना।
  • हमेशा क्रोध करते रहना।
  • मांगलिक दोष के प्रभाव से रक्त विकार उत्पन्न होना।

ऐसे होता है मांगलिक जातकों का विवाह

ज्योतिष शास्त्र किसी भी योग और दोष को स्पष्ट रूप से बताने में सक्षम है। कुछ पूजापाठ दान आदि से उनमें कुछ सुधार भी संभव है, लेकिन यह कहना अनुचित होगा कि किसी दोष को पूर्णतः समाप्त किया जा सकता है। यदि कोई जातक मांगलिक है तो उसका केवल यह परिहार है कि उसका संबंध भी मांगलिक से ही किया जाए।

मांगलिक दोष से मुक्त होने के विशेष उपाय

  • सबसे बड़ा उपाय अहंकार और क्रोध पर पूर्ण नियंत्रण रखना है
  • श्री हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन श्रद्धा से करें।
  • शिवलिंग पर लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
  • लाल मसूर का मंगलवार को दान करें।
  • भगवान शिव और शक्ति की पूरी श्रद्धा से पूजा करें।
  • हर मंगलवार हनुमान जी को केसरिया चोला अर्पित करें।
  • चांदी की चौकोर डिब्बी में शहद भरकर रखने से भी मंगल का असर कम हो जाता है।
  • घर में आने वाले मेहमानों को मिठाई खिलाने से मंगलदोष का असर कम रहता है।
  • कुंडली में मंगल समस्या दे रहा हो तो शहद न खाएं, बल्कि हर मंगलवार शिवलिंग पर अर्पित करें।

वैवाहिक जीवन को दोषमुक्त रखने के सरल उपाय

यदि कोई व्यक्ति के मांगलिक हो और उसका पार्टनर मांगलिक न हो तो कुंभ विवाह के जरिए इस दोष को खत्म किया जा सकता है।

विवाह पूर्व वर करें यह उपाय

एक छोटे से केसरिया गणपति अपने पूजा गृह में मंगलवार को रखें एवं रोज उनकी पूजा श्रद्धा विश्वास से करें।

विवाह पूर्व कन्या करें यह उपाय

किसी कन्या के मंगल दोष होने पर उसका विवाह भगवान विष्णु के साथ करना आवश्यक होता है।

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