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मोबाइल कंपनियों vivo, oppo, xiaomi को भेजा गया नोटिस, TAX चोरी का संदेह

मोबाइल कंपनियों vivo, oppo, xiaomi को भेजा गया नोटिस, TAX चोरी का संदेह

मोबाइल कंपनियों vivo, oppo, xiaomi को  नोटिस, भेजा गया है इन पर TAX चोरी का संदेह है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि सरकार चीन की तीन मोबाइल फोन कंपनियों vivo, oppo, xiaomi द्वारा कथित टैक्स चोरी संबंधी मामलों की जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि तीनों कंपनियों को इस संबंध में नोटिस जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह तीन कंपनियां ओप्पो, वीवो इंडिया और शाओमी हैं.

वित्त मंत्री ने कहा कि डिपॉर्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने मोबाइल फोन कंपनी ओप्पो को कुल 4,389 करोड़ रुपये के सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) के लिए नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा कि कंपनी ने कुछ वस्तुओं के बारे में सही जानकारी नहीं दी है जिसकी वजह से भुगतान कम हुआ है. बकौल वित्त मंत्री, एक अनुमान के अनुसार करीब 2,981 करोड़ की धोखाधड़ी हुई है.

1408 करोड़ रुपये की कर चोरी
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सीमा शुल्क के भुगतान के समय आयात किए गए उत्पादों का मूल्य कम बताया गया. इससे हमें लगता है कि 1,408 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे स्वेच्छा से 450 करोड़ रुपये जमा करने आगे आए हैं, जो 4,389 करोड़ रुपये की मांग की तुलना में काफी कम है.’’

शाओमी को 3 नोटिस
उन्होंने इस मामले में दूसरी कंपनी शाओमी का जिक्र करते हुए कहा कि यह ‘असेंबल’ किए गए एमआई मोबाइल फोन से संबंधित है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, “उन्हें तीन कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और उन पर करीब 653 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क देनदारी है. उन्होंने जारी तीन कारण बताओ नोटिस पर केवल 46 लाख रुपये जमा किए गए हैं.”

वीवो को 2,217 करोड़ का डिमांड नोटिस जारी
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि तीसरी कंपनी वीवो इंडिया है. कंपनी को 2,217 करोड़ रुपये का ‘डिमांड नोटिस’ जारी किया गया है और उन्होंने 60 करोड़ रुपये स्वैच्छिक रूप से जमा किए हैं. उन्होंने कहा कि इनके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजर उन 18 कंपनियों पर भी है जो एक ही समूह वीवो द्वारा स्थापित की गई थीं. वित्त मंत्री ने बताया कि वीवो ने भारत में हुई कुल 1.25 लाख करोड़ रुपये की सेल में से बड़ा हिस्सा इन 18 कंपनियों के माध्यम से देश के बाहर भेजा है. गौरतलब है कि इन कंपनियों के खिलाफ ईडी, आयकर विभाग और डीआरआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं.

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