HOMEज्ञानधर्म

Pitru Paksha 2022 क्रोधित होकर माता सीता ने दिया श्राप, भूमि के नीचे बहता है जल

Pitru Paksha 2022 क्रोधित होकर माता सीता ने दिया श्राप, नहीं बढ़ता नदी का जल

Pitru Paksha 2022: कथा के अनुसार भगवान राम राजा दशरथ का पिंडदान करने गया के फल्गु नदी पहुंचे थे। तब सामग्री जुटाने के लिए लक्ष्मण के साथ नगर चले गए थे। उन्हें सामान जुटाने में देर हो गई थी। पिंडदान का समय निकलता जा रहा था। तब माता सीता फल्गु नदी के तट पर बैठी थीं। तभी दशरथजी ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि समय निकल रहा है, जल्दी मेरा पिंडदान करें।

तब देवी सीता ने रेत से पिंड बनाया। फल्गु नदी, अक्षय वट, एक ब्राह्मण, तुलसी और गौमाता को साक्षी मानकर उनका पिंडदान किया। जब राम पहुंचे तब उन्होंने सारी बात बताई और अक्षय वट ने भी जानकारी दी। लेकिन फल्गु नदी कुछ नहीं बोली, तब माता सीता ने क्रोधित होकर फल्गु नदी को श्राप दे दिया था। तब से ये नदी भूमि के नीचे बहती है। इसे भू-सलिला भी कहा जाता है। इसमे पानी बढ़ता

यह भी पढ़ें-  जिला चिकित्सालय के 50 बिस्तरीय क्रिटीकल केयर ब्लॉक का वर्चुअली भूमिपूजन संपन्न

पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और दान कार्य किया जाता है। श्राद्ध पद में गया का महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि बिहार के गया तीर्थ में पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने से सात पीढ़ियों का उद्धार होता है। गया तीर्थ स्थल हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लोग यहां श्राद्ध और पिंड चढ़ाते हैं। माना जाता है कि यहां पिंडदान और श्राद्ध करने से आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा दशरथ का पिंडदान भगवान राम और सीता ने यहां किया था।

यह भी पढ़ें-  Katni: गांधी जयंती पर मानवाधिकार एसोसिएशन ने चलाया स्वच्छता अभियान

पितृ ऋण से मिलती है मुक्ति

वायु पुराण में गया तीर्थ के बारे में कहा गया है कि श्राद्ध करने से ब्राह्मण हत्या, चोरी आदि के पाप नष्ट हो जाते हैं। पितृपक्ष के दौरान गया में अपने पूर्वजों को श्राद्ध-तर्पण करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु स्वयं पैतृक देवता के रूप में गया में निवास करते हैं। इसलिए इस जगह को पितृ तीर्थ भी कहा जाता है।

यह भी पढ़ें-  तिलक कालेज में एनएसयूआई ने मनाई गांधी जयंती, माल्यार्पण कर बापू के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया

पितृ पक्ष में लगता है मेला

गरुड़ पुराण में इस तीर्थ के महत्व का उल्लेख है। इस तीर्थ स्थल को मोक्षभूमि कहा जाता है। पितृ पक्ष के दौरान यहां मेला लगता है। हिंदुओ के अलावा, गया तीर्थ स्थल बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थान है। बोधगया को भगवान बुद्ध की भूमि भी कहा जाता है।

Related Articles

Back to top button