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सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग सिविल इंजीनियर ने खा लिया जहर

सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग सिविल इंजीनियर ने खा लिया जहर

नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील में फिर एक 28 वर्षीय सिविल इंजीनियर ने सूदखोरों की प्रताड़ना से बीते दिवस चूहामार दवा का सेवन कर लिया। जिसका इलाज जबलपुर में चल रहा है, हालत गंभीर है। पीडि़त व उसके स्वजनों का आरोप है कि सूदखोरों द्वारा परेशान किए जाने के सम्‍बंध में प्रशासन को दो माह पूर्व ही शिकायत की जा चुकी थी। लेकिन कोई कार्रवाई न होने से यह स्थिति बनी। जिससे अब पीड़ित के बयान लेने पुलिस जबलपुर पहुंची है। जिसके बाद जांच कर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।

घटनाक्रम में बताया जाता है कि गाडरवारा तहसील के ग्राम भूमियाढाना निवासी सिविल इंजीनियर राजेंद्र पिता कमल प्रसाद केवट 28 वर्ष प्राइवेट नौकरी करता है। जिसने बीते साेमवार की शाम चूहामार दवा का सेवन कर लिया था। जिसे स्वजनों ने सिविल अस्पताल में भर्ती कराया जहां से उसे नरसिंहपुर और फिर तत्काल जबलपुर रेफर कर दिया गया। मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए बयानों में सामने आया है कि कोठिया निवासी रामेश्वर पटेल से राजेंद्र ने करीब डेढ़ वर्ष पहले तीन लाख रुपये लिए थे। जिसमें उसने रामेश्वर को ब्याज सहित 7 लाख रुपये लौटाए। वहीं कौडि़या निवासी नरेंद्र पटेल से लिए गए डेढ़ लाख रुपये के बदले ब्याज सहित 5 लाख दिए। इसी तरह गाडरवारा निवासी अभिषेक शर्मा से लिए गए डेढ़ लाख के बदले ढाई लाख रुपये लौटाए। गाडरवारा के ही जयेश खजांची से भी 70 हजार रुपये लिए थे जो उसे लौटाए। इसी तरह ग्राम कौडि़या निवासी राघवेंद्र बोहरे से लिए गए डेढ़ लाख रुपये में ब्याज सहित 6 लाख रुपये राजेंद्र ने लौटाए। वहीं गाडरवारा के मिथिलेश पटेल से 8 लाख रुपये लिए थे जो भी ब्याज सहित लौटाए गए थे।

ब्याज की वसूली में घर पर कब्जा, जमीन-कार बिकी : घटना के बाद पीडि़त युवक के स्वजन कह रहे हैं कि राजेंद्र ने गाडरवारा की साईंधाम कालोनी में 18 लाख रुपये का प्लाट लेकर जो घर बनाया था वह भी सूदखोरों ने मोटे ब्याज की वसूली में अपने नाम करा लिया है। गांव में जो 20 एकड़ जमीन थी उसमें अधिकांश जमीन सूदखोरों को ब्याज चुकाने के नाम पर बिक चुकी है। साथ ही राजेंद्र की कार भी सूदखोरों ने छीन ली है। सूदखोरों को मनमाना ब्याज और मूल रकम से अधिक रकम देने के बाद भी प्रताड़ना मिल रही थी। जिसके कारण ही राजेंद्र ने यह कदम उठाया। पीडि़त स्वजनों का कहना है कि राजेंद्र ने पूर्व में गाडरवारा थाना सहित पुलिस अधीक्षक के नाम दो माह पहले शिकायत की थी। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की जिससे यह नौबत बनी। यदि पुलिस मामले में ठोस कार्रवाई करती तो उनके बेटे को यह कदम नहीं उठाना पड़ता। उल्लेखनीय रहे कि जिले में सूदखोरों की प्रताड़ना का यह पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी नरसिंहपुर में डा.‍ सिद्धार्थ तिगनाथ आत्महत्या मामला सामने आ चुका है। जिसमें सूदखोरों पर प्रताड़ना के आरोप लगने के बाद पुलिस ने करीब 7 लाेगों को आरोपित बनाते हुए गिरफ्तार किया था। जो फिलहाल जमानत पर हैं।

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