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अच्छी खबर: भक्तों और महाकाल के बीच दूरी हुई कम! अब श्रद्धालु भी चढ़ा सकेंगे जल

भक्तों और महाकाल के बीच दूरी हुई कम! अब श्रद्धालु भी चढ़ा सकेंगे जल

उज्जैन। कोरोना संक्रमण काल के बाद से ही उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल के ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पित करने पर पांबदी लगा दी गई थी, लेकिन अब लंबे समय बाद महाकाल के भक्तों को मंदिर प्रशासन ने ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पित करने की इजाजत दे दी है. मंदिर प्रशासन ने इसके लिए एक नई व्यवस्था की है. नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं से बाल्टी में जल लेकर पुजारी ज्योतिर्लिंग पर अर्पित करेंगे.

दरअसल महाकाल के पुजारी और प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य महेश पुजारी ने बताया कि देखा जा रहा था कि कुछ श्रद्धालुजन कर्मचारियों की सहायता से चोरी छिपे महाकाल को जल अर्पित करते थे और सामान्य श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग पर जल नहीं चढ़ा पाते थे. उन्होंने कहा कि महाकाल सभी के लिए एक बराबर हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालुओं के जल अर्पित करने पर प्रतिबंध लगाया गया था और केवल पुजारी ही भगवान को जल अर्पित कर रहे थे, लेकिन भक्तों की आस्था को देखते हुए ही नियमों में बदलाव किया गया है.

नई टिकटों में नहीं छपेगी महाकाल की तस्वीर

महेश पुजारी ने बताया कि महाकाल की भस्म लेने के लिए टिकट की व्यवस्था है. टिकट पर भगवान महाकाल के ज्योतिर्लिंग की तस्वीर बनी हुई है. इस टिकट पर बनी ज्योतिर्लिंग की तस्वीर पर संज्ञान लेते हुए प्रबंध समिति को बताया गया है कि ज्योतिर्लिंग की तस्वीर टिकट पर होने से श्रद्धालुजनों द्वारा दर्शन के बाद टिकट को यहां-वहां फेंक दिए के जाने से ज्योतिर्लिंग की तस्वीर पैरों में आती है.

यह भगवान का अपमान है. इसे टिकट से हटाए जाने के लिए प्रबंध समिति को कहा गया है. यानि अब जो नई टिकट होगी उस पर महाकाल की तस्वीर नहीं छापी जाएगी.

टिकट पर भगवान की तस्वीर का हो रहा था बहुत विरोध

दरअसल महाकाल मंदिर में सौ रुपए के प्रोटोकॉल टिकट पर छपी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर का विरोध शुरू हो गया था. इसके बाद महाकाल प्रबंध समिति ने टिकट से फोटो हटाने का निर्णय लिया. ज्योतिर्लिंग का यह फोटो भस्म आरती के लिए जारी होने वाले 201 रुपए के एंट्री टिकट पर भी छपा है. प्रबंध समिति ने कहा है कि दोनों जगहों से ज्योतिर्लिंग का फोटो हटा दिया जाएगा.

श्रद्धालुओं का कहना था कि इन टिकटों को इस्तेमाल के बाद डस्टबिन में फेंक दिया जाता है। ऐसे में उन पर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर होना गलत और अपमानजनक है। इस तर्क को देखते हुए मंदिर समिति ने यह फैसला लिया है।

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