स्टेरॉयड के टैबलेट और इंजेक्शन समय से पहले लेना जानलेवा,

स्टेरॉयड के टैबलेट और इंजेक्शन समय से पहले लेना जानलेवा,

अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड टैबलेट और इंजेक्शन को अब कोरोना संक्रमितों को दिया जा रहा है। लेकिन यह दवाई बेहद ही जानलेवा है। इसके इस्तेमाल में बेहद सतर्कता की जरूरत है। बीएचयू में टीबी व चेस्ट विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एसके अग्रवाल ने बताया कि कभी भी इसका इस्तेमाल घातक हो सकता है। उन्होंने डॉक्टरों को इसके प्रोटोकाल का ख्याल रखने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि कोरोना होने के 8वें दिन से 12 दिन के बीच पांच दिन में स्टेरायड लेनी चाहिए। इस दौरान शुगर लेवर के स्तर पर लगातार नजर रखना बेहद जरूरी है। स्टेरॉयड के कारण शुगर बेहद तेजी से बढ़ती है। प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि स्टेरॉयड फेफड़े में खराब कोशिकाओं को खत्म करने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी तेजी से कम करता है। इससे खून में लिफोसाइट और अन्य लाभकारी तत्व नष्ट होने लगते हैं। लक्षण आने के छह-सात दिन तक कोविड-19 तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है।

प्रोफेसर ने कहा कि पांच से सात दिन तक डैक्सोना की एक मिली ग्राम की तीन टैबलेट सुबह और तीन शाम को देनी चाहिए। वहीं, मैड्राल की 16 मिलीग्राम की एक गोली सुबह, एक शाम दी जानी चाहिए। इनमें से कोई भी दवा बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई न ले। कोविड संक्रमण के आठवें दिन साइटोकिन स्टार्म आता है, जिससे कुछ देर पहले ही स्टेरॉयड दिया जाना जरूरी होता है। संक्रमण के दौरान प्रतिरक्षी कोशिकाओं एवं उनके सक्रिय यौगिकों (साइटोकिंस) में बेतहाशा वृद्धि को साइटोकिन स्टार्म कहते हैं। इस स्थिति में फेफड़ों में सूजन एवं पानी भर जाने से निमोनिया का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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